Naresh Bhagoria
21 Dec 2025
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21 Dec 2025
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21 Dec 2025
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21 Dec 2025
भोपाल। राजधानी की अयोध्या बायपास रोड चौड़ीकरण का करीब आठ महीनों से रुका काम शुरू हो चुका है। सड़क की राह में रोड़ा बन रहे पेड़ों को काटने का सिलसिला जारी है। जल्दबाजी इतनी है कि जेसीबी मशीनों से जड़ से उखाड़ने के साथ कटर से भी पेड़ों को काटा जा रहा है। नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को केंद्रीय अधिकार समिति (CEC) से 7,881 पेड़ों को काटने की इजाजत मिल चुकी है। इस समिति का गठन NGT ने 25 से ज्यादा पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति देने के लिए किया है। हालांकि समिति की हदें भी तय हैं।

एनवायरमेंट एक्टिविस्टों की मानें तो समिति (CEC) को पेड़ों को कटाई की अनुमति देने से पहले जानना था कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ों को बचाने का कोई विकल्प है या नहीं। वहीं, अधिकारियों की मानें तो रोड चौड़ीकरण के दौरान पेड़ों की कटाई के दौरान थ्री लेयर बनाई गई। सबसे आगे वे पेड़ हैं, जिन्हें काटना जरूरी है, सेकंड लेयर में पेड़ों को जरूरत के हिसाब से काटा जाएगा। थर्ड लेयर को छूना भी नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार 50 साल पुराना पेड़, प्रजाति और आकार के आधार पर औसतन एक दिन में 274 लीटर (या 100,000 लीटर प्रति वर्ष) तक ऑक्सीजन दे सकता है, जो 2 से 4 लोगों के लिए पर्याप्त है, जबकि एक बड़ा बरगद का पेड़ 1000 लीटर से अधिक ऑक्सीजन भी दे सकता है।

चार माह पहले करोंद से अयोध्या बायपास तक बनने वाली 10 लेन सड़क परियोजना को लेकर हो रही पेड़ों की कटाई पर NGT में याचिका लगाई गई। इस पर NGT ने NHAI, पर्यावरण मंत्रालय, वन विभाग, भोपाल कलेक्टर, जिला वन अधिकारी और नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया था। इस पर अभी तक सुनवाई चल रही है।

वहीं, 20 नवंबर को भोजपुर मार्ग पर 448 पेड़ों की कटाई के मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में सुना था। इसके अलावा भोपाल में विधायकों के आवास निर्माण के लिए 244 पेड़ और अयोध्या बायपास चौड़ीकरण परियोजना के लिए करीब 8000 पेड़ों की कटाई का मामला भी सामने आया था। तब चीफ जस्टिस की बेंच ने भोपाल में और फिर 26 नवंबर को पूरे प्रदेश में पेड़ों की कटाई पर सशर्त रोक लगा दी थी।
अयोध्या बायपास चौड़ीकरण को लेकर NGT में मामला विचाराधीन है। हमारी याचिका पर एनजीटी ने 9 सदस्यीय CEC का गठन किया था। CEC को निर्देशित था कि पेड़ काटने की अनुमति देने से पहले विकल्प तलाश करें, ताकि ज्यादा पेड़ों को बचाया जा सके। क्या विकल्प तलाशे गए, इसकी रिपोर्ट कमेटी को 3 मार्च 2026 को होने वाली सुनवाई में NGT में रखना हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि उससे पहले ही सीईसी ने 7 हजार 881 पेड़ों को काटने की अनुमति NHAI को दे दी है। साथ ही आयुक्त नगर निगम द्वारा अवकाश के दिनों में कटाई शुरू कराई गई है, जो सीधे तौर पर न्याय के सिद्धांत और कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
नितिन सक्सेना, याचिकाकर्ता, एनवायरमेंट एक्टिविस्ट
NHAI ने सीईसी से 10 हजार पेड़ों को काटने का अनुशंसा की थी, लेकिन 7 हजार 881 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई है। NGT के आदेशों का पालन करते हुए पेड़ों की जिओ टैगिंग के साथ ही आकार-प्रकार और उनकी किस्मों का सर्वे कराया गया है। रिकॉर्ड भी तैयार कराया गया है। पेड़ों को काटने के एवज में जो पेड़ लगेंगे, उनका 15 साल तक संरक्षण किया जाएगा। जिन इलाकों में पेड़ लगाए जा रहे हैं, वह वहां के एनवायरमेंट के हिसाब से हैं, ताकि पनप सकें।
संजय दुबे, एसीएस, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग
अमेरिका : पहले ट्री इंपैक्ट असेसमेंट होता है। पेड़ हटाना जरूरी हो, तो देखा जाता है कि शिफ्ट किया जा सकता है या नहीं। बड़े और पुराने पेड़ों के लिए ट्री ट्रांसप्लांटेशन मशीन का उपयोग होता है। कई राज्यों में एक पेड़ काटने पर 5 से 10 नए पेड़ लगाने का कानून है। काटने पर भारी जुर्माना भी है।
जर्मनी : पेड़ों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है। सड़क के बीच आने वाले पेड़ों को शिफ्ट किया जाता है। पुराने पेड़ों को बचाने के लिए सड़क की डिजाइन तक बदल दी जाती है।
जापान : पेड़ काटना अंतिम विकल्प है। सड़क बनाने से पहले ग्रीन प्लानिंग की जाती है। पेड़ बीच में आ रहा हो, तो सुरक्षित स्थान पर ट्रांसप्लांट किया जाता है। कई जगहों पर सड़क को पेड़ के चारों ओर घुमाकर बनाया जाता है, ताकि पेड़ बच सकें।
फ्रांस : शहरी पेड़ों को नेचुरल हेरिटेज माना जाता है। सड़क परियोजनाओं में पेड़ शिफ्ट करने के लिए अलग बजट तय होता है। पेड़ काटना पड़े, तो उसी क्षेत्र में कई गुना अधिक पेड़ लगाना अनिवार्य है।
ब्रिटेन : ट्री प्रिजर्वेशन ऑर्डर (TPO) लागू होता है। TPO वाले पेड़ को न काटा जा सकता है, न नुकसान पहुंचाया जा सकता है। सड़क के बीच आने पर पहले शिफ्ट करने की कोशिश की जाती है। किसी भी तरह न बचा पाने की स्थिति में इसे काटने के लिए सरकार की विशेष अनुमति जरूरी होती है।