Aniruddh Singh
26 Sep 2025
नई दिल्ली। भारतीय पर्सनल लोन बाजार में पिछले कुछ सालों से तेज बदलाव देखने को मिला है। इस क्षेत्र में जहां पहले बैंकों का वर्चस्व हुआ करता था, वहीं अब नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (एनबीएफसी) तेजी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं। ताजा आंकड़े बताते हैं कि जून 2025 तक नए पर्सनल लोन वितरण में एनबीएफसी का हिस्सा मूल्य के हिसाब से 41% तक पहुंच गया है, जबकि दो साल पहले यह केवल 27% था। मात्रा के हिसाब से तो इनकी हिस्सेदारी और भी ज़्यादा 92% है, जो जून 2023 में 82% थी। इसके पीछे मुख्य कारण है फिनटेक आधारित नई पीढ़ी की एनबीएफसी, जो तकनीक की मदद से तेजी और लचीलेपन के साथ ऋण उपलब्ध करा रही हैं। इसी अवधि में सरकारी और निजी बैंकों की हिस्सेदारी घटी है। मूल्य के आधार पर दोनों का हिस्सा 34% से घटकर 28% रह गया है। वहीं मात्रा के हिसाब से बैंकों का हिस्सा 10% से घटकर मात्र 4% रह गया। यानी अब नए पर्सनल लोन का बड़ा हिस्सा एनबीएफसी के हाथों में चला गया है।
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पर्सनल लोन आमतौर पर चिकित्सा आपातकाल, शादी-ब्याह, घर की मरम्मत और छुट्टियों जैसे खर्चों के लिए लिए जाते हैं। आज यह पूरा बाजार 15 लाख करोड़ रुपए से अधिक का अनुमानित है। विशेषज्ञों का मानना है कि एनबीएफसी के लिए फंडिंग लागत बढ़ने के बाद उन्होंने उच्च ब्याज दर वाले क्षेत्रों जैसे पर्सनल लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में तेजी से प्रवेश किया है। दूसरी ओर, बैंक इस क्षेत्र से सावधानी बरतते हुए पीछे हट रहे हैं क्योंकि उन्हें उच्च क्रेडिट लागत का डर है। हालांकि बैंक अभी भी बड़े टिकट आकार वाले पर्सनल लोन पर ध्यान दे रहे हैं, जहां उनका विशेष दबदबा है। बैंकों और एनबीएफसी के बीच बड़ा अंतर उनकी नीतियों में है। बैंक आम तौर पर केवल उन्हीं ग्राहकों को लोन देते हैं जिनका क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत होता है, और ब्याज दरें अपेक्षाकृत कम रखते हैं।
वहीं, एनबीएफसी अधिक लचीले होते हैं और उन ग्राहकों को भी लोन दे देते हैं जो बैंक की सभी शर्तें पूरी नहीं कर पाते। उदाहरण के लिए, एचडीएफसी बैंक 10% से 24% के बीच ब्याज दर पर लोन देता है, आईसीआईसीआई बैंक 10.60% से 16.50% और एक्सिस बैंक 10% से 21% तक। जबकि बाजाज फाइनेंस जैसे एनबीएफसी 10% से 31% और टाटा कैपिटल 11.50% से 30% तक ब्याज वसूलते हैं। एसेट क्वालिटी की बात करें तो जून 2025 में एनबीएफसी के पर्सनल लोन पोर्टफोलियो में 31-90 दिन तक बकाया रहने वाले खातों का अनुपात 2.1% था, जो जून 2023 में 2% था। निजी बैंकों में यह 1% के आसपास रहा जबकि सरकारी बैंकों में यह थोड़ा बढ़कर 2.2% हो गया।
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छोटे टिकट लोन यानी 1 लाख रुपये से कम राशि वाले लोन का बकाया अनुपात 2.3% रहा, जो दो साल पहले 2.7% था। वहीं 10 लाख रुपये से ऊपर के लोन में यह आंकड़ा 1.5% रहा। स्पष्ट है कि छोटे आकार के पर्सनल लोन में एनबीएफसी लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। वहीं बैंकों ने इस सेगमेंट में अपनी हिस्सेदारी घटा दी है। यही कारण है कि छोटे टिकट लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में एनबीएफसी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। एनबीएफसी की इस रणनीति ने उन्हें ग्रामीण और अर्ध-शहरी ग्राहकों तक भी पहुंचने का मौका दिया है, जहां बैंक अक्सर कठोर मानदंडों के कारण संकोच करते हैं। पर्सनल लोन बाजार अब केवल बैंकों का खेल नहीं रह गया है। एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों ने इसे एक प्रतिस्पर्धी और गतिशील क्षेत्र बना दिया है, जिससे ग्राहकों के पास पहले से कहीं अधिक विकल्प और लचीलापन उपलब्ध हो गया है।