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काठमांडू। नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की ने अब अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। उन्होंने पद संभालते ही भ्रष्टाचार खत्म करने और जन-आंदोलनों में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने का बड़ा ऐलान किया।
14 सितंबर को शपथ लेने के बाद सुशीला कार्की ने सबसे पहला फैसला Gen-Z आंदोलन में जान गंवाने वालों के हक में लिया। उन्होंने कहा कि सभी मृतकों को शहीद घोषित किया जाएगा और उनके परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपए का मुआवजा मिलेगा। इस आंदोलन में अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक भारतीय महिला भी शामिल थी।
कार्की ने साफ कहा कि उनका उद्देश्य सत्ता का आनंद लेना नहीं, बल्कि देश को स्थिरता की ओर ले जाना है। उन्होंने घोषणा की कि वह छह महीने से अधिक सत्ता में नहीं रहेंगी और समय पर नई संसद को जिम्मेदारी सौंप देंगी। नेपाल में 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है।
Gen-Z आंदोलनकारियों के गुस्से का असर नेपाल के बड़े नेताओं पर भी पड़ा। प्रदर्शनों के दौरान भीड़ ने पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली, शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल प्रचंड के घरों को आग के हवाले कर दिया। फिलहाल ये सभी नेता आर्मी कैंपों में रह रहे हैं और समर्थक इनके लिए किराए के मकान ढूंढ रहे हैं।
सुशीला कार्की अब अपनी अंतरिम कैबिनेट बनाने में जुटी हैं। चर्चा है कि इसमें लगभग 15 मंत्री शामिल होंगे। जिन नामों पर विचार हो रहा है उनमें कानूनी विशेषज्ञ, पूर्व सेना अधिकारी, सेवानिवृत्त जज और ऊर्जा विशेषज्ञ कुलमान घीसिंग जैसे चेहरे शामिल हैं। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में Gen-Z आंदोलनकारियों की राय भी ली जा रही है, जिसके लिए ऑनलाइन वोटिंग कराई जा रही है।
Gen-Z नेताओं ने साफ किया है कि वे सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन सरकार के हर कदम पर नजर रखेंगे। उनका कहना है कि, जनता के विश्वास के बिना कोई भी सरकार सफल नहीं हो सकती।
कार्की की नियुक्ति पर भारत, चीन और बांग्लादेश ने शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताते हुए कहा कि "नेपाल की जनता ने कठिन समय में लोकतंत्र पर भरोसा रखा, भारत हमेशा उनके साथ खड़ा है।" वहीं चीन ने नेपाल के साथ मित्रता और शांति बहाली की उम्मीद जताई है।
सुशीला कार्की की पहचान एक ईमानदार और सख्त छवि वाली नेता के रूप में रही है। उनकी नियुक्ति के बाद नेपाल की जनता, खासकर युवाओं में नई उम्मीद जगी है। लोग मानते हैं कि उनका नेतृत्व देश को राजनीतिक अस्थिरता से बाहर निकाल सकता है और आर्थिक सुधार की दिशा में ले जा सकता है।