People's Reporter
5 Nov 2025
भोपाल। मध्य प्रदेश के मेडिकल, नर्सिंग, पैरामेडिकल, डेंटल और आयुष समेत विभिन्न स्वास्थ्य शिक्षण संस्थानों की संबद्धता प्रक्रिया अब पूरी तरह क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) के मापदंडों पर आधारित होगी। प्रदेश में 500 से अधिक कॉलेजों को अब मान्यता से पहले QCI की टीम के निरीक्षण से गुजरना होगा।
इस फैसले को मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर की कार्यपरिषद की 95वीं बैठक में अनुमोदित किया गया।
अब तक प्रदेश में कॉलेजों की संबद्धता प्रक्रिया को लेकर अनिश्चितता और पारदर्शिता की कमी की शिकायतें सामने आती रही हैं। आरोप थे कि निरीक्षण टीमें अक्सर आधे-अधूरे दस्तावेजों या जानकारियों के आधार पर भी कॉलेजों को मान्यता दे देती थीं। कई नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े की शिकायतों के बाद CBI जांच तक हुई थी।
इन खामियों को दूर करने के लिए अब यह तय किया गया है कि कॉलेजों की जांच QCI द्वारा निर्धारित मानकों पर होगी और उसी की सिफारिश के आधार पर विश्वविद्यालय संबद्धता देगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर यह नई प्रणाली लागू की है। यूपी में पिछले वर्ष से सभी मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से पहले क्यूसीआई द्वारा निरीक्षण अनिवार्य किया गया था।
इस कड़े निरीक्षण के बाद नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की संख्या 600 से घटकर मात्र 68 रह गई, जिससे फर्जी और मानकों से नीचे चल रहे कॉलेज स्वतः ही बाहर हो गए। मध्य प्रदेश सरकार को भी उम्मीद है कि इससे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित होगी।
QCI द्वारा किया जाने वाला निरीक्षण आधुनिक तकनीकों से लैस होगा। निरीक्षण दल बॉडी कैमरा, जियो टैगिंग और डिजिटल दस्तावेज सत्यापन जैसे टूल्स का इस्तेमाल करेगा। निरीक्षण के दौरान यदि कोई खामी पाई जाती है तो उस संस्थान को पहले सुधार का मौका दिया जाएगा और फिर दोबारा निरीक्षण कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
कॉलेजों की वास्तविकता को लेकर छात्रों और अभिभावकों के मन में जो संदेह रहता था, उसे भी दूर करने के लिए कार्यपरिषद ने बड़ा फैसला लिया है। अब से विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी मान्य कॉलेजों की सूची विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाएगी। यह जानकारी पब्लिक डोमेन में होगी, जिससे कोई भी व्यक्ति किसी कॉलेज की मान्यता की स्थिति जांच सकेगा।
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इस नई व्यवस्था को विशेषज्ञ स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा सुधार मान रहे हैं। इसके तहत न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि फर्जी और अव्यवस्थित संस्थानों को बंद कराने में भी सहायता मिलेगी।
सरकार का उद्देश्य है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पढ़ाई कर रहे छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षित स्टाफ के जरिए बेहतर प्रशिक्षण मिल सके, जिससे भविष्य के डॉक्टर, नर्स और हेल्थ प्रोफेशनल्स पूरी तरह योग्य और जिम्मेदार हों।