Aniruddh Singh
20 Oct 2025
Aniruddh Singh
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20 Oct 2025
Aniruddh Singh
19 Oct 2025
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19 Oct 2025
मुंबई। दिवाली के मौके पर निवेशक अक्सर दुविधा में रहते हैं कि उन्हें सोने-चांदी जैसे सुरक्षित धातुओं में निवेश करना चाहिए या शेयर बाजार में। एक ताजा अध्ययन ने इस पारंपरिक धारणा को उलट दिया है। ओम्नीसाइंस कैपिटल द्वारा किए गए 35 साल के विश्लेषण (1990 से 2025 तक) के अनुसार, दीर्घकालिक रूप से इक्विटी (शेयर बाजार) ने सोने की तुलना में अधिक रिटर्न और बेहतर पूंजी सुरक्षा प्रदान की है। अध्ययन के मुताबिक, पिछले 35 वर्षों में सेंसेक्स का औसत वार्षिक रिटर्न 11.5% रहा, जबकि सोने का औसत रिटर्न केवल 9.5% रहा। यह मामूली लगने वाला 2% का अंतर दशकों में निवेशक की संपत्ति को कई गुना बढ़ा देता है। हाल के वर्षों में यह अंतर और अधिक स्पष्ट हुआ है।
तीन साल या उससे अधिक की अवधि के लिए, निफ्टी 50 का औसत रिटर्न 11.5% रहा, जबकि सोने का रिटर्न 8–10% के बीच सीमित रहा। दिलचस्प बात यह है कि यह अध्ययन सोने की सुरक्षित निवेश वाली धारणा को भी चुनौती देता है। आंकड़ों के अनुसार तीन साल या उससे अधिक अवधि के लिए निफ्टी में निवेश करने वालों को 98.1% संभावना रही कि उन्हें पूंजी हानि नहीं होगी। इसके विपरीत, सोने में यह संभावना केवल 84% रही। यानी वास्तव में लंबी अवधि में इक्विटी निवेश सोने से अधिक सुरक्षित सिद्ध हुआ है। यह भी पाया गया कि यदि निवेशक सोने में 99% से अधिक पूंजी सुरक्षा चाहते हैं, तो उन्हें कम से कम सात साल तक निवेश बनाए रखना पड़ता है। वहीं इक्विटी निवेशकों को इतनी सुरक्षा केवल तीन साल की अवधि में ही मिल जाती है।
इस आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि इक्विटी को जोखिमपूर्ण मानना अब एक भ्रम साबित हो चुका है, लंबे समय में यह न केवल महंगाई से आगे निकलती है बल्कि पूंजी की रक्षा भी करती है। फिर भी, सोने और चांदी की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। वे बाजार की अस्थिरता और भू-राजनीतिक संकट के समय पोर्टफोलियो में मनोवैज्ञानिक सुरक्षा और विविधता प्रदान करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कुल निवेश पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी 10–20% से अधिक नहीं होनी चाहिए, ताकि रिटर्न में कोई बड़ी कटौती न हो। वर्तमान परिस्थितियों में, जब निफ्टी, सोना और चांदी सभी रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर हैं, अधिकांश विश्लेषक सलाह दे रहे हैं कि अब इक्विटी में निवेश बढ़ाने का समय है।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के पंकज पांडे का कहना है कि जो एसेट क्लास हाल में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर चुका है, उसमें निवेश घटाना और जो पीछे रह गया है, उसमें बढ़ाना समझदारी है। उनके अनुसार, 5% सोना, 5% चांदी, 10% डेट और शेष 80% इक्विटी में निवेश उपयुक्त रहेगा। निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के रूपेश पटेल के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार की आय क्षमता और तुलनात्मक रूप से सस्ते मूल्यांकन को देखते हुए इक्विटी अगले वर्ष अन्य एसेट क्लास से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। कुल मिलाकर, इस दिवाली का संकेत स्पष्ट है दीर्घकालिक धन सृजन के लिए निफ्टी और भारतीय इक्विटी सबसे मजबूत विकल्प हैं, जबकि सोना और चांदी सीमित अनुपात में सुरक्षा कवच का काम करेंगे।