हर साल खरमास की अवधि आती है और इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है। इस दौरान धर्म, तप और संयम का माहौल बना रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में गोचर करता है, तब खरमास लगता है। इस साल 16 दिसंबर 2025 से सूर्य का धनु राशि में गोचर होने से खरमास की शुरुआत होगी और 14 जनवरी 2026 को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही यह अवधि समाप्त हो जाएगी।
खरमास क्या है और क्यों है विशेष?
- खरमास की अवधि लगभग 30 दिन की होती है।
- इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, उपवास और आत्मसंयम को अधिक महत्व दिया जाता है।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब बृहस्पति की राशि में होता है, तब गुरु की शुभता कम हो जाती है।
- सूर्य की गति इस समय धीमी हो जाती है, जबकि शुभ कार्यों में सूर्य पूर्ण रूप से गतिमान और गुरु की पूर्ण शक्तियों के साथ होना चाहिए।
इस अवधि में कई मांगलिक और शुभ कार्य अशुभ माने जाते हैं, जैसे-
- विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कार्य
- नए व्यापार की शुरुआत
- सोने-चांदी की खरीदारी
- अन्य बड़े निवेश या शुभ मुहूर्त वाले कार्य
- ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस दौरान किए गए मांगलिक और शुभ कार्यों में सफलता नहीं मिलती, इसलिए इसे टालना चाहिए।
खरमास का आध्यात्मिक महत्व
यह समय ध्यान, व्रत, पूजा-पाठ और आत्मसयंम का होता है। लोग इस दौरान अहिंसा, धर्मपालन और दान के कार्यों को अधिक महत्व देते हैं। धार्मिक स्थलों और घरों में शांति और संयम का वातावरण बना रहता है।