People's Reporter
11 Nov 2025
Aniruddh Singh
9 Nov 2025
Aniruddh Singh
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Aniruddh Singh
9 Nov 2025
नई दिल्ली। देश में जीएसटी प्रणाली को और सरल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा सुधार प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव पर आज बुधवार को नई दिल्ली में राज्य मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक हो रही है। इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहेंगी और वह इस योजना के पीछे केंद्र का दृष्टिकोण समझाएंगी। हालांकि केंद्र सरकार सीधे तौर पर इस समूह की सदस्य नहीं है, लेकिन वित्त मंत्री की मौजूदगी से राज्यों को इस योजना के पीछे की सोच को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिलेगा।
केंद्र ने सुझाव दिया है कि मौजूदा चार स्लैब वाले जीएसटी ढांचे (5%, 12%, 18% और 28%) को बदलकर केवल दो मुख्य दरें–5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रखी जाएं। इसके अलावा, कुछ चुनिंदा वस्तुओं जैसे पान मसाला, तंबाकू और ऑनलाइन गेमिंग पर एक विशेष 40 प्रतिशत की उच्च दर लागू करने का प्रस्ताव है। इस बदलाव के तहत 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले स्लैब खत्म हो जाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे कर प्रणाली सरल होगी और उपभोक्ताओं को कई वस्तुएं सस्ती मिलेंगी।
नई संरचना में वस्तुओं को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जाएगा। पहली श्रेणी होगी मेरिट गुड्स यानी वे वस्तुएं और सेवाएं जो आम जनता, किसानों और छोटे उद्योगों (एमएसएमई) के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। इन पर 5 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। दूसरी श्रेणी होगी स्टैंडर्ड गुड्स, जिन पर 18 प्रतिशत का मानक कर दर लगेगी। लगभग 5 से 7 सिन गु्ड्स यानी स्वास्थ्य और समाज के लिए हानिकारक वस्तुओं पर ही 40 प्रतिशत की सबसे ऊंची दर लागू की जाएगी। बैठक की अध्यक्षता बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी कर रहे हैं, जो इस छह सदस्यीय पैनल के संयोजक हैं। इसमें उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा और केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल भी शामिल हैं।
सरकार का उद्देश्य इस सुधार के माध्यम से जीएसटी ढांचे को ज्यादा पारदर्शी और सरल बनाना है। वर्तमान प्रणाली में अलग-अलग स्लैब होने से कई बार भ्रम की स्थिति पैदा होती है और कारोबारियों व उपभोक्ताओं दोनों के लिए यह जटिल हो जाता है। यदि केवल दो मुख्य दरें होंगी, तो टैक्स गणना और अनुपालन आसान होगा। साथ ही 12 और 28 प्रतिशत की दरों को हटाने से उपभोक्ताओं पर कर भार कुछ कम हो सकता है। हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि राज्यों की प्रतिक्रिया इस प्रस्ताव पर कैसी रहती है।
क्योंकि जीएसटी से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा राज्यों की वित्तीय स्थिति से जुड़ा हुआ है। यदि कर संरचना बदलती है तो उसके राजस्व पर असर पड़ सकता है। इसलिए अंतिम निर्णय राज्यों और केंद्र के बीच सहमति से ही लिया जाएगा। अगर समूह इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है तो यह मामला अगले सितंबर होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में भेजा जाएगा, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। वहां, अंतिम रूप से यह तय होगा कि दो स्लैब वाली नई जीएसटी दर प्रणाली लागू की जाएगी या नहीं।