Aniruddh Singh
12 Oct 2025
मुंबई। टाटा मोटर्स लंबे समय से चल रहे अपने डिमर्जर की प्रक्रिया के अंतिम चरण में पहुंच गई है। कंपनी ने अब अपने कमर्शियल व्हीकल (सीवी) और पैसेंजर व्हीकल (पीवी) व्यवसाय को अलग करने की योजना के तहत प्रभावी तारीख और समयसीमा की घोषणा कर दी है। ताजा नियामक फाइलिंग के अनुसार, डिमर्जर 1 अक्टूबर 2025 से आधिकारिक तौर पर प्रभावी हो जाएगा। यह कदम नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में इस योजना पर अंतिम सुनवाई पूरी होने और आदेश सुरक्षित रखने के बाद आया है। कानूनी प्रक्रिया लगभग पूरी होने के साथ, टाटा मोटर्स अब ऑपरेशनल कामकाज को निपटाने पर ध्यान दे रही है। कंपनी का कहना है कि पूरा प्रोसेस मौजूदा तिमाही यानी वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में ही पूरा कर लिया जाएगा।
स्वीकृत योजना के तहत, टाटा मोटर्स का कमर्शियल व्हीकल व्यवसाय और उससे जुड़े निवेश एक नई कंपनी में स्थानांतरित कर दिए जाएंगे, जिसका नाम होगा टीएमएल कॉमर्शियल व्हीकल लिमिटेड। बाद में इस नए संस्थान का नाम बदलकर टाटा मोटर्स लिमिटेड रखा जाएगा। दूसरी ओर, पैसेंजर व्हीकल डिविजन, जिसमें पैसेंजर कारें, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) का कारोबार शामिल है, मौजूदा लिस्टेड कंपनी के अंतर्गत ही रहेगा और उसका नाम भी टाटा मोटर्स ही रहेगा। शेयर वितरण अनुपात के अनुसार, टाटा मोटर्स के प्रत्येक शेयर पर शेयरधारकों को नई सीवी इकाई का एक शेयर मिलेगा।
यानी अगर किसी निवेशक के पास 100 टाटा मोटर्स के शेयर हैं, तो डिमर्जर के बाद उसके पास मौजूदा कंपनी के 100 शेयर और नई सीवी कंपनी के 100 शेयर हो जाएंगे। दोनों कंपनियां एनएसई और बीएसई पर अलग-अलग सूचीबद्ध होंगी। इसका मतलब है कि निवेशक इन दोनों व्यवसायों में अलग-अलग हिस्सेदारी रख सकते हैं या जरूरत के अनुसार अलग से ट्रेड कर सकते हैं। यह डिमर्जर टाटा मोटर्स के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे कंपनी के दोनों प्रमुख व्यवसाय कमर्शियल व्हीकल और पैसेंजर व्हीकल अपनी-अपनी रणनीतियों और विकास योजनाओं पर स्वतंत्र रूप से ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। निवेशकों के लिए यह पारदर्शिता बढ़ाएगा और उन्हें यह निर्णय लेने का अवसर देगा कि वे किस व्यवसाय में निवेश जारी रखना चाहते हैं।