Priyanshi Soni
19 Oct 2025
Mithilesh Yadav
19 Oct 2025
Priyanshi Soni
19 Oct 2025
इंदौर। मध्यप्रदेश के दो प्रमुख धार्मिक और व्यापारिक शहरों इंदौर और उज्जैन के बीच अब मेट्रो ट्रेन दौड़ने की तैयारी है। दोनों शहरों को जोड़ने वाले इस मेट्रो प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जल्द इसका रिव्यू करेंगे और फिर इसे कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। अनुमान है कि करीब 10 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इस मेट्रो लाइन से यात्रा का समय आधे से भी कम हो जाएगा।
प्रस्तावित मेट्रो लाइन इंदौर के लवकुश नगर से शुरू होकर उज्जैन रेलवे स्टेशन तक जाएगी। 45 किलोमीटर लंबे इस रूट पर कुल 11 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिनमें कुछ प्रमुख स्टेशन हैं भौंरासला, सांवेर, तराना, त्रिवेणी घाट, नानाखेड़ा और उज्जैन आईएसबीटी। उज्जैन शहर में करीब 4.5 किमी का हिस्सा अंडरग्राउंड रहेगा, जिससे शहर के मुख्य मार्गों पर निर्माण का असर कम होगा।
फिलहाल इंदौर से उज्जैन पहुंचने में बस से 2 घंटे, कार से डेढ़ घंटे और दोपहिया से लगभग 2 घंटे का समय लगता है। मेट्रो शुरू होने के बाद यह सफर सिर्फ 45 से 50 मिनट में पूरा हो जाएगा। इससे महाकाल दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भी बड़ी राहत मिलेगी।
दिल्ली मेट्रो ने 2022-23 में इस परियोजना की फिजिबिलिटी स्टडी की थी, जिसमें इसे सफल बताया गया। इसके आधार पर DPR तैयार की गई। मेट्रो कॉरिडोर को हाइब्रिड मोड (एलिवेटेड और अंडरग्राउंड) में विकसित किया जाएगा। अधिकतम रफ्तार 135 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है, जैसा कि दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में देखा गया है।
इस कॉरिडोर में सिर्फ 11 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिससे लागत भी कम रहने की उम्मीद है। उदाहरण के तौर पर, भोपाल मेट्रो के प्रत्येक स्टेशन पर औसतन 50 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। यहां स्टेशन कम होंगे, जिससे खर्च घटेगा और निर्माण कार्य भी तेजी से पूरा हो सकेगा।
इंदौर में पहले से मेट्रो डिपो मौजूद है, इसलिए नए डिपो की आवश्यकता नहीं है। लेकिन उज्जैन में डिपो के लिए 49.7 एकड़ सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं हो सकी, जिस कारण डिपो के लिए सांवेर के पास रेवती गांव में जमीन की मांग की गई है। जमीन का आवंटन और फंडिंग इस प्रोजेक्ट की रफ्तार में सबसे बड़ी बाधाएं बनी हुई हैं।
मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में कम से कम तीन साल का समय लगेगा। ऐसे में 2028 के सिंहस्थ महाकुंभ से पहले इसका संचालन शुरू होना संभव नहीं दिख रहा है। फंडिंग को लेकर राज्य सरकार को केंद्र या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सहायता की आवश्यकता होगी।
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