Aniruddh Singh
11 Oct 2025
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11 Oct 2025
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11 Oct 2025
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11 Oct 2025
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11 Oct 2025
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार इस समय दुनिया के सबसे सक्रिय और आकर्षक इक्विटी बाजारों में गिना जा रहा है। इसी के बीच दो बड़े अरब डॉलर के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) टाटा कैपिटल लिमिटेड और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लिमिटेड निवेशकों के उत्साह और बाजार की वास्तविक मजबूती की परीक्षा लेने जा रहे हैं। इन दोनों कंपनियों की लिस्टिंग आने वाले दिनों में मुंबई स्टॉक एक्सचेंज पर होगी और इनके प्रदर्शन पर पूरे बाजार की दिशा निर्भर मानी जा रही है। टाटा समूह की वित्तीय इकाई टाटा कैपिटल ने इस साल भारत का सबसे बड़ा आईपीओ पेश किया, जिससे 15,500 करोड़ रुपए (लगभग 1.7 अरब डॉलर) जुटाए गए। यह कंपनी सोमवार यानी 13 अक्तूबर को शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली है, जबकि इसके एक दिन बाद यानी 14 अक्तूबर मंगलवार को दक्षिण कोरिया की दिग्गज कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स की भारतीय इकाई की शेयर बाजार में लिस्टिंग होगी। एलजी का यह इश्यू 17 साल में सबसे अधिक सब्सक्राइब बार होने वाला आईपीओ रहा है।
ये दोनों लिस्टिंग भारत की वैश्विक फंड जुटाने की बढ़ती ताकत को दर्शाती हैं। घरेलू तरलता की प्रचुरता, रिटेल निवेशकों की तेजी से बढ़ती भागीदारी और विदेशी पूंजी का आकर्षण-ये सभी भारत को विश्व के शीर्ष पूंजी बाजारों में स्थान दिला रहे हैं। अक्टूबर 2025 भारतीय आईपीओ इतिहास का सबसे बड़ा महीना बनने की ओर अग्रसर है, क्योंकि इस महीने में कुल जुटाई गई राशि 5 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। इन दोनों आईपीओ पर सबकी निगाहें इसलिए भी टिकी हैं क्योंकि इनका प्रदर्शन भविष्य में आने वाले सैकड़ों आईपीओ के लिए संकेत तय करेगा। विश्लेषकों का मानना है कि अगर इन दो बड़ी कंपनियों में से कम से कम एक की लिस्टिंग मजबूत रही तो आने वाले महीनों में और भी कई बड़े निर्गम बाजार में उतर सकते हैं। अगर शुरुआती प्रदर्शन कमजोर रहा, तो यह निवेशकों के जोश को ठंडा कर सकता है और कई कंपनियां अपनी योजनाएं टाल सकती हैं।
हालांकि टाटा और एलजी दोनों ब्रांड अपने-अपने क्षेत्रों में बेहद मजबूत और विश्वसनीय नाम हैं, परंतु केवल नाम की प्रसिद्धि से बाजार में सफलता की गारंटी नहीं होती। 2020 के बाद भारत के तीन सबसे बड़े आईपीओ पहले दिन ही गिरावट के साथ खुले थे। फिर भी इस साल के अब तक के दोनों अरब डॉलर के आईपीओ ने लिस्टिंग के बाद लाभ दर्ज किया है, जिससे उम्मीदें बढ़ी हैं। गैर-आधिकारिक ग्रे मार्केट में एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का शेयर अपने इश्यू प्राइस से करीब 30% ऊंचा चल रहा है, जबकि टाटा कैपिटल मामूली बढ़त पर है। वित्तीय विश्लेषण के अनुसार, दोनों कंपनियों के शेयर अभी भी अपनी स्थानीय प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में सस्ते हैं, जिससे निवेशकों के लिए आकर्षण बढ़ा है। एलजी के इश्यू को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली — यह अपने ऑफर किए गए शेयरों से 54 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ, जो 2008 में रिलायंस पावर के बाद दूसरा सबसे अधिक सब्सक्रिप्शन वाला अरब डॉलर आईपीओ है।
अबू धाबी, नॉर्वे और सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड्स के साथ ब्लैकरॉक और फिडेलिटी जैसी बड़ी वैश्विक निवेश कंपनियों ने इसमें एंकर निवेशक के रूप में भाग लिया। दूसरी ओर, टाटा कैपिटल के शेयरों की मांग भी दोगुनी रही, जिसमें अधिकांश हिस्सेदारी संस्थागत निवेशकों की थी। मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स और नोमुरा जैसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसमें निवेश किया। लिस्टिंग के बाद टाटा कैपिटल देश की चौथी सबसे बड़ी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी बन जाएगी, केवल बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व और जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के बाद। हालांकि टाटा समूह के लिए यह समय पूरी तरह शांत नहीं है-टाटा ट्रस्ट में चल रहे बोर्डरूम विवाद के कारण सरकार को मध्यस्थता करनी पड़ी। फिर भी, कंपनी ने आईपीओ आगे बढ़ाया, जो निवेशकों के भरोसे का संकेत है। इन दो निर्गमों के साथ भारत में इस साल की कुल आईपीओ जुटाई राशि 15 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच जाएगी।
आने वाले महीनों में कैनरा बैंक की संयुक्त उद्यम कंपनियों, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट, पाइन लैब्स और लेंसकार्ट जैसी कई बड़ी कंपनियों की लिस्टिंग की तैयारी है। भारतीय बाजार में आईपीओ की यह लहर देश की पूंजी बाजार सुधार प्रक्रिया और विदेशी निवेश आकर्षित करने की नीतियों का परिणाम है। भारतीय प्रतिभूति नियामक ने हाल में नियमों में ढील देकर बड़ी निजी कंपनियों के लिए पब्लिक होने की प्रक्रिया सरल की है, जबकि रिजर्व बैंक ने आईपीओ में निवेश करने वालों को कर्ज देने के नियमों को आसान किया है। इस रफ्तार से भारत का आईपीओ बाजार 2025 में दुनिया के शीर्ष तीन बाजारों में शामिल हो सकता है। भले ही निफ्टी 50 इंडेक्स इस साल क्षेत्रीय समकक्षों से कमजोर रहा हो, लेकिन आईपीओ बाजार ने विदेशी निवेशकों के लिए भारत को नई संभावनाओं का केंद्र बना दिया है और अब टाटा व एलजी की लिस्टिंग यह तय करेगी कि यह उछाल स्थाई है या अस्थाई।