Aniruddh Singh
4 Dec 2025
नई दिल्ली। भारत के लिए अमेरिका हमेशा से ही सबसे महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य रहा है, लेकिन टैरिफ ने अब सब कुछ बदल दिया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाए जाने के बाद भारतीय निर्यात में चार महीनों में 37.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट मई 2025 से सितंबर 2025 के बीच देखी गई, जब निर्यात 8.8 अरब डॉलर से घटकर 5.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह वर्ष 2025 की अब तक की सबसे तीव्र और लगातार गिरावट मानी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट मई से शुरू हुई। मई में भारत का अमेरिका को निर्यात 4.8% बढ़कर 8.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन जून से लगातार गिरावट का दौर शुरू हो गया। जून में 5.7% की गिरावट के बाद निर्यात 8.3 अरब डॉलर पर आया, जुलाई में 3.6% घटकर 8.0 अरब डॉलर, अगस्त में 13.8% घटकर 6.9 अरब डॉलर और फिर सितंबर में 20.3% गिरकर 5.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
सितंबर वह पहला पूरा महीना था, जब भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ पूरी तरह लागू हो गया था। इस अवधि में भारत को कुल मिलाकर 3.3 अरब डॉलर (लगभग ₹27,000 करोड़) से अधिक का नुकसान हुआ, जो भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। जीटीआरआई ने कहा कि यह गिरावट वॉशिंगटन द्वारा लागू किए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का सीधा प्रभाव है और यह भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा पर दीर्घकालिक असर डाल सकता है। सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र टेक्सटाइल (कपड़ा उद्योग), जेम्स एंड ज्वेलरी (रत्न और आभूषण), इंजीनियरिंग गुड्स और केमिकल्स रहे हैं। इन क्षेत्रों से अमेरिका को निर्यात में भारी कमी आने से समग्र निर्यात भी तेजी से घटा है। खासतौर पर टेक्सटाइल और ज्वेलरी क्षेत्र पर असर सबसे अधिक पड़ा है क्योंकि ये पारंपरिक रूप से अमेरिका पर निर्भर बाजार हैं।
यह गिरावट भारत की निर्यात नीति के लिए एक गंभीर झटका मानी जा रही है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अमेरिका को निर्यात में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की थी, लेकिन अब टैरिफ बाधाओं के कारण भारतीय उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रह गईं। इससे अमेरिकी खरीदार अब वियतनाम, बांग्लादेश, और मेक्सिको जैसे देशों की ओर झुक सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार को तत्काल नीति समीक्षा करनी चाहिए ताकि अपने व्यापारिक हितों की रक्षा की जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को या तो अमेरिका के साथ पुन: बातचीत कर टैरिफ कम करवाने की कोशिश करनी चाहिए या फिर अपने निर्यातकों के लिए घरेलू प्रोत्साहन बढ़ाने चाहिए ताकि वे लागत प्रतिस्पर्धा बनाए रख सकें।