Aniruddh Singh
7 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क (टैरिफ) से देश के लगभग 65 अरब डॉलर मूल्य के माल निर्यात पर असर पड़ सकता है। यह शुल्क अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों को महंगा बना देगा, जिससे उनकी मांग कम हो सकती है। सरकार के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक, इस बढ़े हुए शुल्क का सबसे ज्यादा असर कपड़ा, रत्न-आभूषण और समुद्री उत्पाद जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर पड़ेगा। इन क्षेत्रों में काम करने वाले लाखों श्रमिकों के रोजगार और आय पर भी खतरा हो सकता है। अधिकारी ने बताया कि पहले लगाए गए 25% शुल्क को कुछ हद तक निर्यातक झेल सकते थे, लेकिन शुल्क दर के दोगुना होकर 50% होने से स्थिति गंभीर हो गई है। सरकार कुछ राहत देने के लिए बैंक क्रेडिट आसान करने जैसी सहायता योजनाएं ला सकती है। भारत ने 2024-25 में अमेरिका को लगभग 86.51 अरब डॉलर का माल निर्यात किया था, जिनमें से लगभग 30 अरब डॉलर के उत्पाद जैसे दवाएं, कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान (जैसे स्मार्टफोन) और ऊर्जा उत्पाद वर्तमान में अधिक शुल्क से मुक्त हैं। इन वस्तुओं पर या तो बहुत कम शुल्क लगता है या शून्य शुल्क है।
हालांकि, इन छूटों के बावजूद, श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर अतिरिक्त शुल्क का दबाव बाकी लाभों को काफी हद तक संतुलित कर सकता है। अधिकारी ने यह भी कहा कि वास्तविक असर थोड़ा कम हो सकता है, यदि भारत और अमेरिका के बीच कोई व्यापार समझौता हो जाए और भारत पर लगने वाली टैरिफ दर घटा दी जाए। इस समय दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिसकी आखिरी बैठक जुलाई में हुई थी। वित्त मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में भारत के लगभग 55% निर्यात पर 25% अमेरिकी शुल्क लगाया जा रहा है, जबकि 6 अगस्त को राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश में भारत पर रूस के साथ मिलीभगत का आरोप लगाकर यह दर बढ़ाकर 50% कर दी गई।
टैरिफ की यह नई दर 27 अगस्त से लागू होगी। जबकि, 25% शुल्क की दर 7 अगस्त से लागू हो चुकी है। इस टैरिफ नीति के दूसरे और तीसरे दौर के असर भी होंगे, यानी कुछ ऐसे उत्पाद जो अभी छूट सूची में हैं, भविष्य में उनके शुल्क बढ़ने की संभावना है। इससे भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धी बने रहना और मुश्किल हो सकता है। कुल मिलाकर, यह निर्णय भारत के अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी और निर्यात आय के लिए एक बड़ा खतरा है। यदि जल्द ही कोई समझौता नहीं हुआ, तो न केवल निर्यात घटेगा, बल्कि रोजगार, विदेशी मुद्रा आय और कई उद्योगों की स्थिरता पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
पीएम नरेंद्र मोदी अगले माह सितंबर के आखिरी सप्ताह में अमेरिका की यात्रा करेंगे। उनके इस दौरे के मकसद संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होना है। अमेरिका दौरे में पीएम मोदी टैरिफ विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलकर टैरिफ पर किसी समाधान पर पहुंचने का प्रयास करेंगे। भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद सुलझने में रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत-अमेरिका ट्रेड डील की अहम भूमिका होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में जिस तरह चीन को लेकर नरमी दिखाई है, उसे देखते हुए संभव है कि वह अगले दिनों में टैरिफ को लेकर जारी अड़ियलपन से पीछे हटते हुए कुछ उदार शर्तों के साथ भारत से ट्रेड डील पर सहमति दे दें। इस लिहाज से पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है।