Aniruddh Singh
7 Oct 2025
बिजनेस डेस्क। भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को अचानक भारी गिरावट देखने को मिली, जिसमें सेंसेक्स 650 अंकों से अधिक टूट गया और निफ्टी 25,050 के स्तर से नीचे फिसल गया। इस गिरावट का प्रमुख कारण आईटी कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे, वैश्विक अस्थिरता और अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता रही।
आज की इस गिरावट में सबसे बड़ी भूमिका आईटी शेयरों की रही। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 2% की गिरावट आई, जिससे पूरे सेक्टोरल सूचकांकों में यह सबसे नीचे रहा। निवेशकों में अनिश्चितता की वजह से बाजार में बड़े पैमाने पर बिकवाली देखने को मिली, जिससे बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के कुल मार्केट कैप में 2.42 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई।
कोफोर्ज कंपनी के शेयर लगभग 9% टूट गए, जबकि पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में 8% की गिरावट आई। इन कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों ने निवेशकों को निराश किया। कोफोर् की एबिटा मार्जिन केवल 12.7% रही, जो पिछली तिमाही की तुलना में भी कम थी। इसके अलावा, कंपनी का फ्री कैश फ्लो निगेटिव रहा और उन्होंने 85 मिलियन डॉलर खर्च किए जिसमें से 62 मिलियन डॉलर एक एआई डेटा सेंटर बनाने पर खर्च हुए। इस खर्चीजे निवेश मॉडल से निवेशकों में चिंता बढ़ी है।
पर्सिस्टेंट सिस्टम्स की बात करें तो इसने भी अपेक्षित विकास दर हासिल नहीं की और वेतन वृद्धि को एक तिमाही के लिए टाल दिया। कंपनी के नए सौदे 520 मिलियन डॉलर पर स्थिर रहे, जबकि पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 517.5 मिलियन डॉलर था। यह इशारा करता है कि मांग में स्थिरता या मंदी आ रही है, जो आईटी सेक्टर के लिए चिंताजनक है।
इसके अलावा वैश्विक बाजारों में भी उस समय घबराहट फैल गई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक फेडरल रिजर्व की यात्रा करने की घोषणा की। यह कदम अप्रत्याशित था और इससे फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के साथ तनाव की आशंका पैदा हो गई। ऐसा राजनीतिक हस्तक्षेप वैश्विक निवेशकों को असहज करता है, क्योंकि अमेरिकी फेड की स्वतंत्रता और नीति निर्धारण में संतुलन पर सवाल उठते हैं। फेड की आगामी बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखने की संभावना है, लेकिन ट्रंप के अचानक हस्तक्षेप ने अनिश्चितता और घबराहट को बढ़ा दिया है।
तीसरा बड़ा कारण भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता है। अगस्त 1 की समयसीमा से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते की उम्मीद अब धुंधली होती जा रही है। अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ कटौती, विशेष रूप से कृषि और डेयरी उत्पादों पर, सहमति नहीं बन पा रही है। अप्रैल में ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 26% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, लेकिन बातचीत को मौका देने के लिए उस निर्णय को टाल दिया गया था। अब जबकि यह समयसीमा नजदीक आ रही है, भारत को अब तक कोई औपचारिक टैरिफ नोटिस नहीं मिला है जबकि अन्य 20 से अधिक देशों को यह मिल चुका है। भारत का वार्ताकार दल हाल ही में अमेरिका से बिना किसी ठोस परिणाम के लौटा है और आगे केवल वर्चुअल बातचीत ही जारी है।
इन तीनों कारणों-आईटी कंपनियों की कमजोरी, वैश्विक अनिश्चितता और व्यापार वार्ता की अस्पष्टता-ने मिलकर निवेशकों का भरोसा हिला दिया और व्यापक बिकवाली के चलते बाजार में भारी गिरावट आई है। यह गिरावट संकेत है कि घरेलू और वैश्विक मोर्चों पर आर्थिक माहौल फिलहाल अनिश्चित बना हुआ है।