Aniruddh Singh
14 Oct 2025
Shivani Gupta
13 Oct 2025
नई दिल्ली। इस बार की दीवाली पर भारतीय घरों में सोने की परंपरागत चमक कुछ फीकी पड़ती दिखाई दे रही है। लगातार बढ़ती कीमतों ने आम उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता को प्रभावित किया है, जिससे आभूषणों की बिक्री में उल्लेखनीय गिरावट आने की संभावना है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार, इस त्योहारी मौसम में सोने की मांग में पिछले वर्ष की तुलना में 27% तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। रक्षाबंधन से ओणम के बीच पहले चरण में ही सोने की मांग 28% घटकर 50 टन रह गई, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों से आर्थिक माहौल में कुछ सकारात्मकता आई है, लेकिन सोने की आसमान छूती कीमतों ने उपभोक्ताओं की जेब पर भारी दबाव डाला है।
भारतीय परिवारों के लिए सोना न केवल परंपरा और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह निवेश का भी एक विश्वसनीय माध्यम रहा है। लेकिन जब कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हों, तो उपभोक्ताओं के लिए आभूषणों की खरीद आसान नहीं रह जाती। आईबीजेए के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा बड़े शहरों में उपभोक्ता ऊंची कीमतों के कारण अपनी खरीदारी को या तो स्थगित कर रहे हैं या उसे सीमित कर रहे हैं। जिन उपभोक्ताओं ने खरीदी की भी, उन्होंने प्रायः कम कैरेट और हल्के वजन के आभूषणों को प्राथमिकता दी। इस गिरावट का मुख्य कारण है सोने की कीमतों में लगभग 49% की सालाना वृद्धि, जिसने उपभोक्ताओं के मनोबल को कमजोर किया है। वर्तमान में भारत के खुदरा बाजार में सोने की कीमत ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम से ऊपर पहुंच चुकी है।
पारंपरिक रूप से भारतीय परिवार त्योहारी सीजन के लिए एक निश्चित बजट रखते हैं, और कीमतों के इस स्तर ने उन्हें सोच-समझकर खर्च करने को मजबूर कर दिया है। वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में यह तेजी अमेरिका-चीन व्यापार तनाव, राजनीतिक अनिश्चितताओं और अमेरिकी ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदों के चलते आई है। ऐसे समय में सोना एक सेफ हेवन यानी सुरक्षित निवेश विकल्प बन गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि हुई है और कीमतें और अधिक चढ़ गई हैं। फिर भी, उद्योग जगत पूरी तरह निराश नहीं है। प्रमुख ज्वैलरी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि दीवाली और शादी के सीजन के दौरान बिक्री में सुधार होगा।
कल्याण ज्वैलर्स के कार्यकारी निदेशक रमेश कल्याणरमन ने कहा कि कंपनी त्योहारी सीजन को लेकर उत्साहित है और उसने नई कलेक्शन, विज्ञापन अभियानों और 15 नए शोरूम लॉन्च की तैयारी की है। उनके अनुसार, बढ़ती कीमतों के बावजूद उपभोक्ताओं में अब खरीदने की प्रवृत्ति बनी हुई है, क्योंकि उन्हें आगे और बढ़ोतरी का डर है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तरी और शहरी भारत में अब 18 कैरेट गोल्ड की मांग बढ़ रही है, जो पहले मुख्यतः डायमंड ज्वैलरी के लिए उपयोग होता था, जबकि दक्षिण भारत में अभी भी 22 कैरेट सोने को प्राथमिकता दी जा रही है। सेन्को गोल्ड ने भी सकारात्मक दृष्टिकोण जताया है। कंपनी का मानना है कि वित्त वर्ष 2025–26 की दूसरी छमाही में शादी और त्योहारी मांग के चलते बिक्री मजबूत रहेगी।
कंपनी को उम्मीद है कि ऊंची कीमतों के बावजूद वह साल भर में 18–20% की राजस्व वृद्धि बनाए रखेगी। स्पष्ट है कि इस दीवाली पर भले ही घरों में सोने की चमक कुछ कम दिखाई दे, लेकिन भारत के बुलियन बाजार के बैक रूम्स यानी थोक और निवेश स्तर पर हलचल जारी है। निवेशक और व्यापारी इस स्थिति को दीर्घकालिक अवसर के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बीच सोना अब भी सबसे भरोसेमंद संपत्ति वर्ग माना जाता है। इस प्रकार, भले ही इस वर्ष सोने के आभूषणों की बिक्री धीमी हो, परंतु यह गिरावट अस्थायी है। जैसे-जैसे कीमतें स्थिर होंगी और त्योहारी उत्साह लौटेगा, वैसे-वैसे भारत के सुनहरे बाज़ार में फिर से वही पुरानी रौनक लौट आने की उम्मीद है।