Shivani Gupta
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
मुंबई। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र सितंबर 2025 की तिमाही में कमजोर प्रदर्शन की ओर बढ़ रहा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि इस अवधि में बैंकों की ऋण वृद्धि और कमाई दोनों ही सुस्त पड़ सकती हैं। खुदरा और कॉरपोरेट क्षेत्रों में ऋण देने की गति पिछले दो तिमाहियों से धीमी पड़ी है, जिससे संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली पर असर दिख रहा है। विश्लेषकों के अनुसार, पूरे बैंकिंग सिस्टम में ऋण और जमा वृद्धि लगभग 9–10% के बीच रहेगी। इसके अलावा, ट्रेजरी गेन यानी सरकारी बॉन्डों से होने वाला लाभ भी कमजोर रहने की संभावना है, क्योंकि बॉन्ड यील्ड बढ़ने से उनकी कीमतें घट रही हैं। साथ ही, रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में की गई रेपो दरों में कटौती के पूरे असर के चलते बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन (एनआईएम) यानी ब्याज आय का अनुपात भी घट सकता है।
छोटे व मझोले उद्योगों (एसएमई) और वाणिज्यिक वाहनों के ऋण पोर्टफोलियो की गुणवत्ता अब भी चिंता का विषय बनी हुई है। भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की ऋण वृद्धि इस तिमाही में 11% रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह 15.3% थी। जमा में वृद्धि लगभग 9.1% अनुमानित है। बैंक का एनआईएम घटकर 2.4% रहने की संभावना है, जो एक साल पहले 2.7% था। एसबीआई का कर के बाद लाभ (पीएटी ) भी घटकर लगभग ₹15,230 करोड़ रह सकता है, जो पिछले साल इसी अवधि में ₹18,330 करोड़ था। निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंक एचडीएफसी बैंक का लाभ लगभग ₹16,400 करोड़ रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल ₹16,800 करोड़ था। बैंक की ब्याज मार्जिन दर 3.1% तक घट सकती है, जबकि पिछले वर्ष यह 3.3% थी।
सितंबर के अंत तक एचडीएफसी बैंक के कुल ऋण ₹27.69 लाख करोड़ और जमा ₹28 लाख करोड़ तक पहुंच गए हैं, जो क्रमशः 9.9% और 12.1% की वार्षिक वृद्धि दर्शाते हैं। सीएलएसए की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर तिमाही भारतीय बैंकों के लिए धीमी रहेगी। ऋण वृद्धि लगभग 9–10% पर सिमटी रहेगी और अधिकांश बैंकों का एनआईएम लगभग 10 आधार अंक घटेगा। हालांकि, सूक्ष्म वित्त और व्यक्तिगत ऋणों में मामूली सुधार की संभावना है, जबकि क्रेडिट कार्ड और वाणिज्यिक वाहन ऋण अब भी दबाव में रहेंगे। आईआईएफएल कैपिटल का अनुमान है कि पूरे बैंकिंग सिस्टम का लाभ (पीएटी) साल-दर-साल 11% घटेगा, जिसकी मुख्य वजह एनआईएम में कमी, ट्रेजरी गेन में गिरावट और परिचालन खर्चों में वृद्धि है। हालांकि, कम क्रेडिट लागत से इस प्रभाव का कुछ हिस्सा संतुलित हो सकता है।
जून 2025 में आरबीआई द्वारा रेपो दर में कुल 100 आधार अंक की कटौती के कारण बैंकों की ब्याज आय पर दबाव आया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह असर दूसरी तिमाही के बाद स्थिर हो जाएगा, यदि आगे और दरें नहीं घटाई गईं। मोतीलााल ओसवाल ने भी भविष्यवाणी की है कि निजी बैंकों का लाभ 7.3% और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का लाभ 7.1% घटेगा। इसका कारण ब्याज मार्जिन में कमी और ट्रेजरी लाभ में गिरावट है। कुल मिलाकर, सितंबर तिमाही बैंकों के लिए कमजोर लाभ और धीमी ऋण वृद्धि की अवधि साबित हो सकती है। हालांकि, असुरक्षित खुदरा ऋणों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, परंतु एमएसएमई और वाणिज्यिक वाहन ऋण जैसे चक्रीय क्षेत्रों में चुनौतियां बनी रहेंगी। बड़े निजी बैंक, जिनके पास अधिक विविधीकृत और सुरक्षित ऋण पोर्टफोलियो हैं, इस दौर में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में रहने की संभावना है।