Shivani Gupta
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का दूसरा सबसे बड़ा बैंक एमिरेट्स एनबीडी भारत के निजी क्षेत्र के आरबीएल बैंक में लगभग 15,000 करोड़ रुपए (1.7 बिलियन डॉलर) का निवेश करने जा रहा है। यह सौदा पूरा होने पर एमिरेट्स एनबीडी को आरबीएल बैंक में 51% हिस्सेदारी मिलेगी, जिससे वह बैंक का सबसे बड़ा और नियंत्रणकारी शेयरधारक बन जाएगा। यह निवेश भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मंजूरी के अधीन है। आरबीआई की मंजूरी के बाद यूएई के इस प्रमुख बैंक को भारत में अपने विस्तार का एक नया अवसर मिलेगा, खासकर भारत-मध्यपूर्व रेमिटेंस बाजार में।
रेमिटेंस का अर्थ है विदेश में काम करने वाले लोगों द्वारा अपने परिवार को देश में भेजे गए पैसे। बता दें भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश है। हर साल लाखों भारतीय प्रवासी (एनआरआई), जो खाड़ी के देशों (यूएई, सऊदी अरब, कतर, कुवैत आदि) में काम करते हैं, अपने घर भारत में पैसे भेजते हैं। साल 2024 में भारत को करीब $125 अरब रेमिटेंस प्राप्त हुआ था, जिसमें से $38–40 अरब सिर्फ खाड़ी क्षेत्र से आया। इसका लगभग आधा हिस्सा 19 अरब डॉलर केवल यूएई से आता है।
यह निवेश मुख्य रूप से प्राथमिक पूंजी निवेश के रूप में किया जाएगा, यानी बैंक को नई पूंजी प्राप्त होगी जिससे उसकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। एमिरेट्स एनबीडी पहले चरण में इक्विटी शेयर और वारंट्स खरीदेगा, जिसके बाद वह 26% तक का ओपन ऑफर करेगा ताकि नियंत्रणकारी हिस्सेदारी हासिल की जा सके। फिलहाल आरबीएल बैंक का बाजार मूल्य लगभग 17,787 करोड़ रुपए है। आरबीआई ने हाल ही में इस परिवर्तन के लिए सिद्धांततः मंजूरी दे दी है। इस सौदे के जरिए एमिरेट्स एनबीडी को न केवल भारत के तेजी से बढ़ते बैंकिंग सेक्टर में प्रवेश मिलेगा बल्कि यह उसे भारतीय प्रवासी रेमिटेंस बाजार में भी मजबूत स्थिति देगा।
आरबीएल बैंक, जिसे पहले रत्नाकर बैंक लिमिटेड के नाम से जाना जाता था, पूरी तरह से सार्वजनिक स्वामित्व में है। बैंक की बोर्ड बैठक 18 अक्टूबर को होने वाली है, जिसमें तिमाही परिणामों के साथ इस सौदे की औपचारिक घोषणा की संभावना है। इस लेनदेन में ईवाई और जेपी मॉर्गन सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं। पिछले एक महीने में आरबीएल बैंक के शेयरों में 6.5% की बढ़त और वर्षभर में 83% तक का उछाल देखा गया है, जो इस संभावित विदेशी निवेश की खबरों से प्रेरित है। यह सौदा भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में अब तक के तीन सबसे बड़े एम एंड ए (विलय-अधिग्रहण) सौदों में से एक माना जा रहा है। यह इस बात का संकेत है कि विदेशी वित्तीय संस्थान भारत के बैंकिंग और एनबीएफसी क्षेत्र में तेजी से रुचि दिखा रहे हैं।
हालांकि भारतीय कानून के अनुसार किसी भी निजी बैंक में विदेशी हिस्सेदारी कुल 74% तक सीमित है और किसी एक विदेशी बैंक को नियंत्रणकारी हिस्सेदारी रखने की अनुमति सामान्यतः नहीं होती। परंतु, आरबीआई ने पहले अपवाद स्वरुप कुछ मंजूरियां दी हैं। साल 2018 में फेयरफैक्स द्वारा कैथोलिक सीरियन बैंक में 51% हिस्सेदारी लेना और 2020 में डीबीएस बैंक द्वारा लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण को उदाहरण के रुप में लिया जा सकता है। आरबीएल बैंक ने पिछले दो वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। जून 2022 में इसका शेयर 72.9 रुपए तक गिर गया था, लेकिन अब यह 289 रुपए के आसपास है। बैंक ने अब अपने ध्यान को सुरक्षित खुदरा की ओर मोड़ा है, जिससे इसकी संपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता में सुधार हुआ है।