Peoples Reporter
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
टेक जगत में इन दिनों एक अप्रत्याशित खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सर्च इंजन कंपनी परप्लेक्सिटी एआई (Perplexity AI) ने गूगल के सबसे अहम प्रोडक्ट्स में से एक क्रोम ब्राउजर को खरीदने के लिए 34.5 अरब डॉलर यानी करीब 3.02 लाख करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया है। इस कदम ने न सिर्फ उद्योग जगत को चौंका दिया है, बल्कि इंटरनेट प्रतिस्पर्धा के भविष्य को लेकर भी नई बहस छेड़ दी है।
चेन्नई में जन्मे अरविंद श्रीनिवास ने आईआईटी मद्रास से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले से अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मशहूर एआई शोधकर्ता योशुआ बेंजियो के साथ की और गूगल में भी काम किया। इस दौरान उन्होंने सर्च और इंटरनेट तकनीकों की गहरी समझ विकसित की। साल 2022 में उन्होंने डेनिस याराट्स, जॉनी हो और एंडी कोनविन्स्की के साथ मिलकर परप्लेक्सिटी एआई की स्थापना की।
सिर्फ तीन साल पुरानी परप्लेक्सिटी एआई को रियल-टाइम जानकारी आधारित चैट सर्च इंजन के लिए जाना जाता है। यह एआई-पावर्ड प्लेटफॉर्म यूजर्स को सीधे बातचीत के जरिए सटीक और ताज़ा जानकारी प्रदान करता है। इसका मुकाबला ओपनएआई के चैटजीपीटी, एलन मस्क के ग्रोक और गूगल के जेमिनी से है। एनवीडिया और सॉफ्टबैंक जैसे निवेशकों से अब तक लगभग 1 अरब डॉलर की फंडिंग जुटाकर कंपनी ने तेजी से टेक सेक्टर में अपनी पहचान बनाई है।
यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब गूगल अमेरिका में एंटी-ट्रस्ट मामले में कानूनी चुनौतियों से जूझ रहा है। हाल ही में अमेरिकी जिला न्यायाधीश अमित पी. मेहता ने पाया कि गूगल ने सर्च इंजन बाजार में अपना एकाधिकार बनाए रखने के लिए अवैध तरीके अपनाए, जिनमें डिवाइस और ब्राउजर्स पर डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए भारी रकम चुकाना शामिल है। इस फैसले के बाद यह संभावना भी जताई जा रही है कि गूगल को अपने क्रोम ब्राउजर को बेचना पड़ सकता है, हालांकि गूगल ने फैसले को चुनौती देने की घोषणा की है।
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कई टेक विशेषज्ञ इस बोली को अव्यावहारिक मानते हैं क्योंकि क्रोम गूगल के इकोसिस्टम से गहराई से जुड़ा हुआ है और इसे अलग करके चलाना आसान नहीं होगा। वहीं, कुछ लोग इसे एक रणनीतिक पब्लिसिटी स्टंट मानते हैं। प्रस्ताव को सार्वजनिक करके परप्लेक्सिटी ने वैश्विक मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है और इंटरनेट प्रतिस्पर्धा के भविष्य पर हो रही बहस में खुद को केंद्र में ला खड़ा किया है।
परप्लेक्सिटी की मौजूदा वैल्यूएशन करीब 14 अरब डॉलर है, जबकि गूगल क्रोम खरीदने के लिए दी गई पेशकश दोगुने से भी ज्यादा है। ऐसे सौदे के लिए कंपनी को भारी बाहरी निवेश की जरूरत होगी, जिसमें प्राइवेट इक्विटी और बड़े कर्ज शामिल हो सकते हैं। भले ही यह वित्तीय रूप से संभव हो जाए, लेकिन गूगल के इंटीग्रेटेड सिस्टम से बाहर क्रोम की संचालन क्षमता और बाजार मूल्य बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा।