न्यूयार्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर खुद को “शांति स्थापित करने वाला नेता” बताया है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में ट्रंप ने कहा कि, उन्होंने अब तक 8 बड़े युद्धों को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। ट्रंप ने कहा, “मैंने यह नोबेल पुरस्कार के लिए नहीं, बल्कि लोगों की जान बचाने के लिए किया। लाखों लोगों की जान बचाना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रहे तनाव को भी वे अपने लौटने के बाद सुलझा लेंगे। ट्रंप बोले- मैं युद्ध सुलझाने में माहिर हूं।
भारत-पाक विवाद सुलझाने का भी किया दावा
ट्रंप ने अपने बयान में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि, उन्होंने “सिर्फ 24 घंटे में यह मामला सुलझा दिया।” उनका दावा है कि, उन्होंने दोनों देशों से कहा था कि अगर युद्ध नहीं रुका तो वे 100%, 150% और 200% तक टैरिफ लगा देंगे।
ट्रंप ने कहा, “अगर मेरे पास टैरिफ नहीं होते, तो आप वह युद्ध कभी नहीं सुलझा पाते। मैंने भारत और पाकिस्तान दोनों को समझाया कि यह परमाणु युद्ध में बदल सकता है। मेरे आर्थिक कदमों ने यह रोक दिया।”
हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज किया है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके बाद हुआ सीजफायर पूरी तरह भारत और पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के बीच सीधी बातचीत का परिणाम था, इसमें किसी तीसरे देश या अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
गाजा सीजफायर समझौते में ट्रंप की भागीदारी
ट्रंप फिलहाल गाजा शांति समझौते (Gaza Ceasefire Agreement) के पहले चरण में शामिल होने के लिए इजराइल रवाना हुए हैं। वे इसके बाद मिस्र के शर्म अल-शेख में होने वाले “ट्रंप पीस समिट” में हिस्सा लेंगे, जहां 20 देशों के नेता मौजूद रहेंगे। ट्रंप इस दौरान इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और बंधक परिवारों से भी मुलाकात करेंगे। वे यरूशलेम की संसद (क्नेस्सेट) को संबोधित करेंगे। ऐसा करने वाले वे केवल चौथे अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे, उनसे पहले जिमी कार्टर, बिल क्लिंटन और जॉर्ज डब्ल्यू बुश यह सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
गाजा संघर्ष में बड़ा बदलाव
- गाजा सीजफायर समझौते के तहत इजराइल ने दो साल बाद गाजा से सैनिकों की चरणबद्ध वापसी शुरू की है।
- पहले चरण में हमास 48 इजराइली बंधकों (20 जीवित और 28 शव) को छोड़ेगा, जबकि इजराइल 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा।
- इजराइली सैनिक गाजा के लगभग 70% क्षेत्र से पीछे हटेंगे, और मानवीय सहायता के लिए रोज 400 ट्रक भेजे जाएंगे।
- दूसरे चरण में दो साल बाद पूरी वापसी की योजना है, जिसके बाद मिस्र, कतर, तुर्किये, UAE और अमेरिका सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे।
भारत की ओर से समिट में कौन होगा शामिल
- भारत की ओर से विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह (K.V. Singh) इस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रण भेजा गया था, लेकिन कार्यक्रम व्यस्तता के कारण उन्होंने मंत्री को भेजा है।
- इस बैठक में अमेरिका, मिस्र, स्पेन, जापान, ग्रीस, बहरीन, कुवैत और पाकिस्तान सहित कई देशों के नेता भाग ले रहे हैं।
हमास का बयान- हथियार नहीं छोड़ेंगे
- हमास ने स्पष्ट किया है कि, वह इजराइली कब्जे के खत्म होने तक हथियार नहीं छोड़ेगा।
- हमास के वरिष्ठ नेता मूसा अबू मरजुक ने कहा कि “हम अपने हथियार भविष्य के फिलिस्तीनी राज्य को सौंप देंगे, जो जनता की सहमति से बनेगा।”
- संगठन ने कहा कि वे किसी तीसरे देश की सरकार नहीं, बल्कि फिलिस्तीनी जनता की इच्छा के अनुसार शासन चाहते हैं।
गाजा की तबाही- 98% खेती बर्बाद, 90% लोग बेघर
- UN की रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल की जंग में गाजा की 98% खेती की जमीन बंजर हो चुकी है।
- 23 लाख की आबादी में से 90% लोग बेघर हैं और 80% क्षेत्र मिलिट्री जोन बन चुका है।
- 510 लाख टन मलबा हटाने में 10 साल और 1.2 ट्रिलियन डॉलर लगेंगे।
- जंग से अब तक 4.5 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।
भारत-पाक संघर्ष : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद लागू हुआ सीजफायर
- यह युद्ध 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें 26 लोग मारे गए।
- इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई आतंकी ठिकाने नष्ट किए गए।
- तीन दिन बाद 10 मई को सीजफायर लागू हुआ।
- भारत ने तब भी साफ कहा था कि, यह उसका “एकतरफा निर्णय नहीं, बल्कि रणनीतिक सफलता” थी। इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी।