Mithilesh Yadav
15 Oct 2025
रायपुर। देशभर में दिवाली का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा भी गांव है जहां यह उत्सव पूरे देश से एक हफ्ते पहले ही मना लिया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे गांव वाले आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निभा रहे हैं। यह अनोखी परंपरा ही इस गांव की पहचान बन चुकी है।
बता दें कि, छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित सेमरा (सी) गांव अपनी इस खास दस्तूर के लिए जाना जाता है। जब देशभर में दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जानी है। तब इस गांव के लोगों ने मंगलवार 14 अक्टूबर को ही धूमधाम से त्योहार मना लिया। गांव वालों का कहना है कि यह परंपरा केवल दिवाली तक सीमित नहीं है। बल्कि होली, पोला और हरेली जैसे अन्य प्रमुख त्योहार भी यहां देश के बाकी हिस्सों से एक सप्ताह पहले ही मनाए जाते हैं।
गांव के लोग इस अनूठी परंपरा के पीछे एक प्राचीन कहानी बताते हैं जो उनके गांव के सिरदार देव से जुड़ी है। बहुत समय पहले एक राजा सिरदार इस क्षेत्र में आए थे, जो अपनी चमत्कारी शक्तियों और प्रजा-हितैषी स्वभाव के लिए जाने जाते थे। एक बार शिकार पर निकले राजा दुर्भाग्यवश खुद ही शिकार हो गए।
इसके बाद, बैगा जनजाति के एक व्यक्ति और फिर गांव के मुखिया को सपने में राजा का शव जंगल में पड़े होने की जानकारी मिली। जब गांव वाले जंगल पहुंचे, तो उन्हें राजा का शव मिला। राजा का अंतिम संस्कार करने के बाद उसी स्थान पर सिरदार देव के नाम से एक मंदिर स्थापित किया गया।
कहा जाता है कि इसके बाद राजा सिरदार ने गांव वालों के सपने में आकर उनसे कहा कि गांव की सुख-शांति के लिए सभी प्रमुख त्योहार देशभर से एक सप्ताह पहले मनाओ। इस आदेश के बाद से ही सेमरा (सी) गांव के लोग सभी मुख्य त्योहार एक हफ्ते पहले मनाने लगे। गांव वालों का दृढ़ विश्वास है कि यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो गांव में कोई न कोई अनहोनी या विपदा जरूर आती है।
गांव में सिरदार देव का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है, हालांकि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है और केवल पुरुष ही पूजा-अर्चना कर सकते हैं। धमतरी जिले से करीब 30 किलोमीटर दूर यह गांव आज भी सदियों पुरानी इस परंपरा को जीवित रखे हुए है, जो उनकी आस्था और अनोखी पहचान का प्रतीक है।