Manisha Dhanwani
14 Nov 2025
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा प्रचारित विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा-NDA के प्रत्याशियों की बढ़त ने चुनावी नजीर पेश कर दी है। पीपुल्स अपडेट के पास उपलब्ध पोलिंग रिपोर्ट में उन 21 सीटों के आंकड़े दिखते हैं जहां मुख्यमंत्री ने हाल ही में बिहार में प्रचार किया और इनमें अधिकांश सीटों पर भाजपा/एनडीए के उम्मीदवार 2025 के वोट प्रतिशत में 2020 की तुलना में स्पष्ट उछाल के साथ आगे चल रहे हैं। यह रुझान यह संकेत देता है कि मुख्यमंत्री के दौरों का स्थानीय स्तर पर सकारात्मक असर पड़ा है, हालांकि विशेषज्ञ इसे एकमात्र कारण मानने से सावधान हैं।
रिपोर्ट में कुछ प्रमुख उदाहरणों से यह स्थिति स्पष्ट होती है। सीएम मोहन यादव के दौरे वाली पश्चिम चंपारण की बगहा सीट पर वोटिंग प्रतिशत 2020 में 60.9% से 2025 में 70.7% तक पहुंचा। सिकता (65.6% → 75.6%) और नरकटिया (64.9% → 74.0%) जैसी सीटों पर भी वोट शेयर में लगभग 9-10 प्रतिशत अंक की छलांग दर्ज हुई। पूर्वी चंपारण के पिपरा व मोतिहारी जैसे क्षेत्रों में भी 60% के आसपास से बढ़कर 72–73% तक का समर्थन दिखा। धाका में भी वोट प्रतिशत 67.3% से बढ़कर 73.2% पर पहुंच चुका है। ये सभी वो सीटें हैं, जहां पर बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मप्र के मुखिया डॉ. मोहन यादव स्थानीय प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे।

इन आंकड़ों में मध्य बिहार और महानगरों के कुछ नगर क्षेत्र शामिल हैं। आलमनगर और मधेपुरा जैसी सीटों पर जद(यू) उम्मीदवारों का वोट प्रतिशत 63% के स्तर से बढ़कर लगभग 69-71% तक गया। वहीं, पटना के कुछ नगर सीटों- दिगहा और बंकीपुर जैसे पर भी 30-40% के बेसलाइन से 40% के पास या उससे ऊपर का उछाल दिखा है। सहरसा, नाथनगर और गया के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में भी 6-9 प्रतिशत अंकों तक वृद्धि दर्ज हुई है। कुल मिलाकर रिपोर्ट में अधिकांश सीटों पर 2020 के मुकाबले 5-12 प्रतिशत अंक तक की वृद्धि का पैटर्न दिखाई देता है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह बढ़त कई कारणों का परिणाम हो सकती है- चर्चित नेता के दौरे से मिली तात्कालिक ऊर्जा, स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की सक्रियता, गठबंधन का समन्वय तथा वोटरों के बीच सरकार के नीतिगत संदेश का प्रभाव। दूसरी ओर, राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने चेतावनी दी है कि पोलिंग-रिपोर्ट में तेजी का मतलब फाइनल नतीजा निश्चित रूप से नहीं होता; मतदान प्रतिशत, अंतिम काउंटिंग और क्षेत्रीय रुझान अभी निर्णायक होंगे।