Aakash Waghmare
7 Dec 2025
Naresh Bhagoria
7 Dec 2025
Naresh Bhagoria
7 Dec 2025
भोपाल। राजधानी में धनतेरस को लेकर धूमधाम से बाजारों में सुबह से ही खरीददारी चल रही है। साथ ही पटाखों के बाजारों में भी लोगों की भीड़ उमड़ी हैं। इसी बीच भोपाल में पटाखा गन से 11 साल के बच्चे की आंख की पलक जल गई। पुतली पर सफेदी (ल्यूकोकोरिया) छा गई हैं। इस साल दिवाली का यह पहला केस गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) के नेत्र विभाग में पहुंचा है।
यह घटना गुरुवार रात की है। बच्चा पटाखा गन लोड करने के बाद चेक कर रहा था। उसी दौरान गन चल गई, जिससे पटाखा उसकी आंख में लग गया। जीएमसी के नेत्र विभाग के मुताबिक, बच्चे को प्राथमिक उपचार दे दिया गया है। और सभी जांचें पूरी कर ली गई हैं। अगली प्रक्रिया सर्जरी की होगी जिसे नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएस बच्चे की रिपोर्ट आने के बाद करेंगे।
भोपाल एम्स ने दिवाली को लेकर एडवाइजरी जारी की है। जिसमें बताया है कि इस त्योहार पर पटाखे फोड़ते वक्त क्या करना चाहिए और किससे बचना है।
हर साल दिवाली पर सबसे ज्यादा मरीज आंखों की चोटों के साथ अस्पताल पहुंचते हैं। बीते साल एम्स में 14 साल के बच्चे और 29 वर्षीय युवक की आंखों की रोशनी चली गई थी। वहीं, हमीदिया में दो मरीज 50 प्रतिशत से ज्यादा झुलसे थे। उनका इलाज बर्न एंड प्लास्टिक विभाग में हुआ था, वह करीब 20 दिन बाद अस्पताल से छूटे थे।
पटाखों से होने वाले हादसों पर गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे ने बताया कि दिवाली पर बर्न से संबंधित कई इंजरी आती हैं। यह मुख्य रूप से केमिकल और थर्मल दो प्रकार की होती हैं। केमिकल इंजरी में आंखों में चूना या सफाई और रंगरोगन में उपयोग की जाने वाली सामग्री चली जाती है। वहीं, थर्मल इंजरी के अधिकतर केस पटाखों से जलने के कारण होते हैं।