Shivani Gupta
18 Oct 2025
Aakash Waghmare
18 Oct 2025
दीपावली के बाद देश को पहली हाइड्रोजन ट्रेन 'नमो ग्रीन रेल' मिलेगी, जो हाइड्रोजन गैस से चलेगी। इस पहल से भारत दुनिया का पाँचवाँ देश बनेगा जहाँ हाइड्रोजन ट्रेनें चलती हैं। ट्रेन पूरी तरह प्रदूषण मुक्त है और इसके लिए न बिजली न ही अन्य ईंधन की जरूरत होगी। यह सोनीपत-गोहाना-जींद रूट पर लगभग 89 किलोमीटर दूरी 110-140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तय करेगी।
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, जो पर्यावरण के लिहाज से पूरी तरह प्रदूषण मुक्त है, दीपावली के बाद सोनीपत-गोहाना-जींद के बीच दौड़ने के लिए तैयार है। दिल्ली के शकूर बस्ती यार्ड में ट्रेन के डिब्बे खड़े हैं और जींद में हाइड्रोजन प्लांट में परीक्षण जारी है। रेलवे की संबंधित शाखाएं भी ट्रेन के संचालन से पहले आवश्यक जांच कर रही हैं, जिसकी पूरी प्रक्रिया में करीब दस दिन लगेंगे। इसके बाद ट्रेन को हरी झंडी दी जाएगी।
यह ट्रेन आठ कोचों की है और एक बार में 2,638 यात्रियों को ले जा सकती है। यह 89 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम होगी। इंजन और बोगियां लखनऊ में तैयार होकर दिल्ली पहुंच चुकी हैं। परियोजना की कुल लागत लगभग 120 करोड़ रुपये आंकी गई है।
जींद में स्थापित हाइड्रोजन प्लांट ने उत्पादन शुरू कर दिया है और फिलहाल परीक्षण जारी है। यह प्लांट 1 मेगावाट पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन इलेक्ट्रोलाइजर से हर दिन लगभग 430 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। प्लांट में 3,000 किलोग्राम हाइड्रोजन भंडारण की व्यवस्था के साथ हाइड्रोजन कंप्रेसर और डिस्पेंसर भी मौजूद हैं, जो ट्रेन को ईंधन प्रदान करेंगे।
हाइड्रोजन ट्रेन के क्षेत्र में भारत जल्द ही विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जहाँ यह तकनीक अपनाई जा रही है। जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, चीन और जापान पहले से ही इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। जर्मनी सबसे बड़े हाइड्रोजन ट्रेन परिचालन बेड़े का मालिक है, जबकि अन्य देशों में पायलट और परीक्षण परियोजनाएं जारी हैं।
हाइड्रोजन ट्रेन में हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग कर बिजली उत्पन्न की जाती है, जिससे केवल जल वाष्प और गर्मी उत्सर्जित होती है। यह पूरी तरह से स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है, जो डीजल या अन्य ईंधनों की जरूरत को समाप्त करती है। भारत की यह पहली हाइड्रोजन ट्रेन डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट का परिवर्तित रूप है, जिसे भारतीय रेलवे ने चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
रेल मंत्रालय के अनुसंधान, डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने जींद के हाइड्रोजन प्लांट के उपकरणों के डिजाइन और मानकीकरण की समीक्षा की है। उनकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड और संबंधित इकाइयों को सौंपी जाएगी, ताकि ट्रेन की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस नई हाइड्रोजन ट्रेन की खासियतों को सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिससे इस महत्वाकांक्षी परियोजना की जानकारी आम जनता तक पहुंच रही है।
यह पहल भारतीय रेलवे के लिए एक नए युग की शुरुआत है, जो पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में देश को अग्रणी बनाएगी।