
गुवाहाटी। देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम सोमवार से लागू हो गया है। जिसको लेकर कई जगहों पर लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा विरोध असम में देखा जा रहा है। यहां लोगों का गुस्सा ज्यादा फूट रहा है। सोमवार को ही गुवाहाटी में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के बैनर तले लोग सड़कों पर उतर आए थे। यूनियन ने असम के कई हिस्सों में संशोधन की प्रतिमा भी जलाई। बता दें कि 2019 में जब सीएए संसद में पारित हुआ था, तब देश में कई जगहों पर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था।
आसम में आज कुछ बड़ा होने की आशंका
AASU सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने सोमवार को दिए बयान में कहा था कि, मंगलवार यानी 12 मार्च को नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (NESO) की ओर से क्षेत्र के सभी राज्यों की राजधानियों में CAA कानून की कॉपी जलाई जाएंगी। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और 30 संगठन भी असम में मशाल जुलूस निकालेंगे और अगले दिन से सत्याग्रह शुरू करेंगे।
CAA की घोषणा के बाद असम के हाल
असम में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और 30 स्वदेशी संगठनों ने CAA कानून के लागू होने की घोषणा के बाद सोमवार यानी 11 मार्च को गुवाहाटी, बरपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़ और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में नागरिकता संशोधन अधिनियम की प्रतियां जलाईं।
आज होगी राज्यव्यापी हड़ताल
सोमवार को ही असम के 16-पक्षीय यूनाइटेड अपोजिशन फोरम ने चरणबद्ध तरीके से अन्य आंदोलनात्मक कार्यक्रम शुरू करने के अलावा मंगलवार यानी 12 मार्च को राज्यव्यापी हड़ताल करने की घोषणा की। उन्होंने अपने बयान में कहा, ”हम सीएए के खिलाफ अपना अहिंसक, शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक आंदोलन जारी रखेंगे।”
बनाई जा रहीं अस्थायी जेल
जानकारी के मुताबिक, विरोध रोकने के लिए असम पुलिस भी एक्शन में है। पुलिस ने गुवाहाटी में पहले से ही जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी है। कई क्षेत्रों के खाली परिसरों में अस्थाई जेलें तैयार की जा रही हैं।
असम सीएम ने लोगों से की अपील
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने लोगों से अपील करते हुए कहा, राजनीतिक दलों को सीएए के खिलाफ बंद करने की घोषणा करने से पहले उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट का आदेश ध्यान में रखना चाहिए… नहीं तो उनके दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।
बंगाली हिंदुओं को नागरिकता दिलाने की कोशिश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एनआरसी में नाम नहीं आने से हिंदू बंगाली समुदाय बीजेपी से नाराज है। लिहाजा सीएए के जरिए बंगाली हिंदुओं को नागरिकता देने की कोशिश की जा रही है। अगर असम में हिंदू बंगाली भाजपा के खिलाफ जाते हैं तो पार्टी को इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है। असम में 34% मुसलमान हैं, जबकि 70 लाख हिंदू बंगाली हैं। ये भाजपा का वोट बैंक हैं।
कुछ दिन पहले गृह मंत्री ने दिया था बयान
बीते दिनों जब गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए लागू करने को लेकर साफ कह दिया था कि सीएए जरूर लागू होगा। उसके बाद से ही आसू ने विरोध की तैयारी शुरू कर दी थी। बता दें कि इस बार 30 जनजातीय संगठन और 16 दलों का विपक्षी मंच विरोध में उतरे हैं।
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