पुष्पेन्द्र सिंह- भोपाल। सतना जिले के कोटर निवासी किसान राम मिलन गौतम कहते हैं कि प्राकृतिक आपदा से कई बार फसलें नष्ट हुईं, बैंक का कर्ज नहीं चुका पाने से आत्महत्या करने को सोचा, लेकिन उन्हें आनंद का माध्यम नहीं मिला। छतरपुर के बड़ामलहरा निवासी जगदीश विश्वकर्मा कहते हैं कि हर दिन छतरपुर मुख्यालय आना होता है, लेकिन आनंद के लिए कोई कार्यक्रम होने की जानकारी नहीं है।
दरअसल, सिंहस्थ-2016 में आयोजित विचार कुंभ के मंथन में आए सुझावों के बाद मप्र में राज्य आनंद संस्थान का गठन किया गया था। इसका मकसद फिनलैंड -भूटान की तरह मप्र को खुशहाल राज्य बनाना था। इसके लिए संस्थान द्वारा ‘नेकी की दीवार’ सहित कई गतिविधियां शुरू हुईं। आनंद के लिए ईशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव, योग गुरु बाबा रामदेव, अवधेशानंद और श्रीश्री रविशंकर को जोड़ा गया। संस्थान का दावा है कि करीब 91 हजार आनंदक और डेढ़ लाख आनंद ट्रेनर बनाए गए हैं और 8 करोड़ की आबादी में 22 लाख (यानी 2.5%) लोगों तक पहुंचा जा सका है।
आनंद विभाग के पहले एसीएस बने थे बैंस : शासन ने अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की जिम्मेदारी में आनंद विभाग बनाया था। इसमें भृत्य से लेकर वरिष्ठ अधिकारी स्तर के स्वीकृत 28 में से 19 कर्मचारी पदस्थ हैं।
हर साल बढ़ रहा बजट : संस्थान का गठन 2016 में हुआ था, तब इसका बजट अध्यात्म विभाग से तय होता था। 2021-22 तक अलग से बजट जारी नहीं हुआ। 2022-23 में अलग से 5 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। 2023-24 में सात करोड़ रुपए से अधिक और इस साल अनुदान मांगों में 2.80 करोड़ दिए गए हैं, जो राज्य की लगभग 8 करोड़ की आबादी में प्रति व्यक्ति 10 पैसे से भी कम है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूटान के राष्ट्रीय हैप्पीनेस इंडेक्स से प्रेरणा लेकर मध्य प्रदेश का 'हैप्पीनेस इंडेक्स' भी जारी करने की बात कही थी। इसके लिए आईआईटी खड़गपुर से एमओयू किया गया। आईआईटी की टीम ने विश्वभर में खुशहाली के आंकलन की प्रचलित पद्धतियों तथा सूचकांकों का अध्ययन किया। प्रदेश के कई अफसर भूटान के भ्रमण पर भी गए, बावजूद अब तक हैप्पीनेस इंडेक्स जारी नहीं हुआ। इस बारे में विभाग के अधिकारी भी अनभिज्ञ हैं। संस्थान के सीईओ अखिलेश अर्गल से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने निजी समस्या के चलते कोई जानकारी नहीं दी।
गुरुग्राम में प्रबंधन विकास संस्थान में प्रोफेसर राजेश के पिलानिया की 2023 की एक रिपोर्ट में मिजोरम को 6 मापदंडों के आधार पर खुशहाल राज्य घोषित किया गया है। यहां के स्कूलों में टीचर छात्रों के बेस्ट फ्रेंड हैं, जिनसे उन्हें कुछ भी शेयर करने में झिझक नहीं होती। शिक्षक स्वयं बच्चों के माता-पिता से संपर्क करते हैं।
आनंद के लिए संस्थान एक दर्जन कार्यक्रम चला रहा है। सीएम राइस स्कूलों में बच्चों के लिए कार्यक्रम प्रारंभ कर दिए हैं। भोपाल के सभी स्कूलों में कार्यक्रम करेंगे। विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से 22 लाख लोगों तक पहुंच गए हैं। -सत्यप्रकाश आर्य, निदेशक कार्यक्रम, आनंद संस्थान