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Priyanshi Soni
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नई दिल्ली। इजराइल और ईरान के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति अब साइबर दुनिया में भी अपना असर दिखा रही है। हाल ही में एक कथित इजराइल समर्थक हैकिंग ग्रुप गोंजेशके दरांडे ने दावा किया कि उन्होंने ईरान के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज नोबिटेक्स को हैक कर करीब 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 780 करोड़ रुपए) की क्रिप्टोकरेंसी उड़ा ली। लेकिन यह रकम उनके हाथों में ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी। कुछ ही घंटों के भीतर पूरी राशि साइबर तकनीकी कारणों से उनके काबू से बाहर हो गई।
18 जून को गोंजेशके दरांडे नामक हैकर्स ग्रुप ने सार्वजनिक रूप से दावा किया कि उन्होंने ईरानी क्रिप्टो एक्सचेंज नोबिटेक्स के डिजिटल वॉलेट को हैक कर लिया है। इस वॉलेट से डोगेकॉइन, एथेरियम और बिटकॉइन जैसी लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी चोरी की गई थी। इससे एक दिन पहले इसी ग्रुप ने दावा किया था कि उन्होंने ईरान के सरकारी बैंक सेपाह के सर्वर से डेटा हटाने में भी सफलता पाई है।
हालांकि इस हैकिंग के कुछ ही घंटे बाद खबर आई कि यह पूरा फंड अब किसी के काबू में नहीं है। क्रिप्टो ट्रैकिंग फर्म एलिप्टिक और अन्य ब्लॉकचेन विश्लेषकों के अनुसार, चुराई गई क्रिप्टोकरेंसी को Vanity Addresses में ट्रांसफर किया गया, जिनके पासवर्ड यानी क्रिप्टोग्राफिक कीज हैकर्स के पास मौजूद ही नहीं थे।
Vanity Address एक प्रकार का कस्टमाइज्ड क्रिप्टो वॉलेट होता है, जिसमें विशिष्ट अक्षर या पैटर्न शामिल होते हैं, लेकिन इनका निर्माण बेहद जटिल होता है और इन्हें एक्सेस करने के लिए प्राइवेट की अनिवार्य होती है। अगर यह प्राइवेट की गलती से उत्पन्न नहीं हो पाई हो या सुरक्षित रूप से स्टोर न हो, तो फंड्स हमेशा के लिए लॉक हो जाते हैं, इस केस में भी ठीक यही हुआ।
ब्रिटिश अखबार गार्जियन के हवाले से आई रिपोर्ट में बताया गया कि हैकर्स ग्रुप अब उन क्रिप्टो फंड्स को एक्सेस नहीं कर पा रहा है। इस तकनीकी चूक ने उन्हें करोड़ों डॉलर से हाथ धोने पर मजबूर कर दिया। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि या तो हैकर्स ने गलत Address जेनरेट किया या फिर अपने ही जाल में फंस गए और क्रिप्टोग्राफिक की गुम हो जाने के कारण फंड अब किसी के काम के नहीं रहे।
इस बीच, नोबिटेक्स एक्सचेंज की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। एक्सचेंज ईरान में क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म में से एक है और लाखों यूजर्स इसपर निर्भर करते हैं।
गोंजेशके दरांडे ग्रुप के इजराइल से कथित संबंध की चर्चा इजराइली मीडिया में लंबे समय से होती रही है, लेकिन अभी तक न तो इस ग्रुप की सटीक पहचान हुई है और न ही इसके पीछे किसी देश की आधिकारिक संलिप्तता की पुष्टि की गई है। यह पहली बार नहीं है जब यह ग्रुप सामने आया हो। पहले भी यह साइबर हमलों का दावा कर चुका है, जिनमें ईरान की सरकारी वेबसाइट्स, बैंक और डेटा सर्वर शामिल रहे हैं।