Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
अशोक गौतम
भोपाल। प्रदेश में खदानों की नीलामी की अनुमति के लिए जिला स्तर पर कमेटी बनाई जाएंगी। इससे खदान संचालन को विभागों की रुकावटों से बचाया जाएगा। दरअसल अभी विभाओं की आपत्तियों की वजह से खदानों के संचालन की अनुमतियां विभागों-कंपनियों के बीच अटकी रहती हैं।
हाल ही में प्रदेश के दौरे पर आए भारत सरकार के खान मंत्रालय के सचिव पीयूष गोयल ने प्रदेश के वन, राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिवों की एक बैठक ली थी। उन्होंने सुझाव दिया है कि जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाए, इसमें सभी विभागों के अधिकारी हों। यह कमेटी खनिजों की नीलामी से पहले प्रस्ताव पर लिखे कि उक्त खदान की नीलामी से कोई समस्या, आपत्ति, कोई इश्यू विभाग की तरफ से नहीं है। आपत्ति हो तो उसके निराकरण तक नीलामी न की जाए। अगर कोई विभाग आपत्ति दर्ज कराता है तो खदान तब तक नीलाम नहीं की जाएगी, जब तक उस आपत्ति का निराकरण नहीं हो जाता है।
प्रदेश में आयरन ओर, बॉक्साइट, लाइमस्टोन सहित अन्य मुख्य खनिजों की खदानों के संचालक और खनिजों की खोज के 118 मामले वन पर्यावरण और तमाम विभागों की अनुमतियों को लेकर कई सालों से उलझे हुए हैं। मैहर में डालमिया कंपनी ने लाइम स्टोन की खदान ली है। इसमें जल संसाधन विभाग ने यह आपत्ति लगा दी है कि इस खदान के बीच से होकर नहर निकाली जा रही है। इस पर अभी रोक लगी है। इसी तरह मित्तल कंपनी ने रीवा में बॉक्साइट की खदान ली है। इसमें कुछ फॉरेस्ट लैंड आ रही है। वन विभाग से इसकी अनुमति और रिपोर्ट अभी तक नहीं आ रही है।
शिवा मिनिरल ने छतरपुर में रॉक फास्फेट की खदान ली थी। इसमें वन और पर्यावरण का इश्यू आ रहा है। वन विभाग की तरफ से यह तय होना है कि वनीकरण क्षतिपूर्ति में कितनी राशि लगेगी। इसी प्रकार सिंगरौली में कोयला खदान में कॉलोनी काट दी गई है। इसमें खदान के पास और खदानों के कुछ क्षेत्रफल में निजी जमीन भी है।
खनिज विभाग ने जिला स्तर पर कमेटी बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव में सरकार को बताया गया है कि इससे खदानों का संचालन जल्दी हो सकेगा। इसके साथ ही विभाग अपने- अपने स्तर पर जमीनों के इश्यू के संबंध में परीक्षण कर सकेंगे। नीलामी के बाद खदान संचालक को विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। अब भारत सरकार ने सभी कार्यों के लिए टाइमलाइन तय कर दी है। इसके साथ ही लेट लतीफी के मामले में सरकार पर भी पेनल्टी का प्रावधान किया है। रेत खदानों की नए सिरे से नीलामी पर भी यही कमेटी अपनी राय देगी, जिससे कि माइनिंग प्लान और पर्यावरण की स्वीकृति देने में ज्यादा समय न लगे। तमाम अनुमतियां समय पर मिलने से खदानें जल्द शुरू हो सकेंगी और इससे सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
प्रदेश में खनिज साधन विभाग के संचालक फ्रेंक नोबल का कहना है कि ‘भारत सरकार के सचिव ने जिला स्तर पर कमेटी बनाने का सुझाव दिया है। कमेटी बनाने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है। कमेटी की सहमति के बाद ही खदानों की नीलामी की जाएगी।’ जिला स्तर की कमेटी को लेकर कटनी के खनिज संचालक पवन मित्तल का कहना है कि ‘कमेटी बनने से अनुमतियों की बहुत सारी औपचारिकताएं पहले हो जाएंगी। इससे विभागों और उद्योगों के बीच में कोआर्डिनेशन बेहतर होगा। खनिज संचालन वन, पर्यावरण, राजस्व सहित तमाम अनुमतियां मिलने में गति मिलेगी। ’