Priyanshi Soni
4 Nov 2025
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका में 43 साल तक गलत आरोप में जेल में रहने वाले भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम की जिंदगी एक बार फिर मोड़ पर आ खड़ी हुई है। हत्या के झूठे आरोप से बरी होने के बाद भी अब उन्हें देश से बाहर निकालने का खतरा है। फिलहाल, दो अमेरिकी अदालतों ने उनके डिपोर्टेशन यानी भारत भेजने पर अस्थायी रोक लगा दी है। जिससे उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन अंतिम फैसला अभी बाकी है।
64 वर्षीय वेदम की रिहाई के तुरंत बाद अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग ने उन्हें हिरासत में ले लिया था और भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, पेंसिल्वेनिया की जिला अदालत और एक इमिग्रेशन कोर्ट ने इस निर्वासन पर रोक लगा दी। अब मामला इमिग्रेशन अपील बोर्ड (BIA) के पास है, जिसका निर्णय आने में कुछ महीने लग सकते हैं। वेदम फिलहाल लुइसियाना के डिटेंशन सेंटर में हैं, जो विशेष रूप से निर्वासन से पहले की हिरासत के लिए उपयोग में लाया जाता है।
सुब्रमण्यम वेदम पर 1980 में अपने क्लासमेट थॉमस किंसर की हत्या का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि, हत्या के पीछे ड्रग्स डीलिंग को लेकर विवाद था। किंसर की गुमशुदगी के नौ महीने बाद उसका शव जंगल में मिला और पुलिस ने वेदम को आखिरी व्यक्ति बताया जो उसके साथ देखा गया था। कोई प्रत्यक्ष गवाह या ठोस सबूत नहीं था। इसके बावजूद 1983 में वेदम को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।
इस साल अगस्त में वेदम के वकील बालचंद्रन को एफबीआई की पुरानी रिपोर्ट हाथ लगी। रिपोर्ट में लिखा था कि, हत्या में चली गोली उस .25 कैलिबर बंदूक से नहीं चली थी जो वेदम से जोड़ी गई थी। इसका मतलब है कि, हत्या का आरोप झूठा था और अभियोजन पक्ष ने यह अहम सबूत जानबूझकर अदालत से छिपा लिया था। इन खुलासों के बाद अदालत ने वेदम की सजा को निरस्त (रद्द) कर दिया और उनकी 3 अक्टूबर 2025 को रिहाई हुई।
वेदम ने जेल में अपने जीवन को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने वहां तीन डिग्रियां हासिल कीं और कैदियों को पढ़ाना शुरू किया। उनके साथियों ने उन्हें एक शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में याद किया। उनके पिता का निधन 2009 में और मां का 2016 में हुआ, लेकिन उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी।
वेदम, जिन्हें परिवार और दोस्त प्यार से Subu कहते हैं, महज नौ महीने की उम्र में अपने माता-पिता के साथ अमेरिका आ गए थे। उनके पिता पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। वेदम अमेरिका के स्थायी निवासी हैं और उन्होंने पूरी जिंदगी यहीं बिताई है।
वेदम की बहन सरस्वती वेदम ने कहा कि, हम खुश हैं कि अदालतों ने माना कि उन्हें फिलहाल डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने 43 साल उस अपराध के लिए जेल में बिताए जो उन्होंने किया ही नहीं। अब उन्हें भारत भेजना एक और अन्याय होगा। उनके वकीलों का कहना है कि, अब अमेरिकी सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और वेदम को रहने की अनुमति देनी चाहिए।
हालांकि, अमेरिकी Department of Homeland Security (DHS) का कहना है कि हत्या का केस रद्द होने के बावजूद वेदम पर पहले से दर्ज एक ड्रग्स केस अभी भी प्रभावी है, इसलिए उन्हें निर्वासित किया जा सकता है। वेदम की कानूनी टीम का तर्क है कि, चार दशक की गलत कैद किसी भी छोटे अपराध से कहीं बड़ी सजा है। अब उन्हें सजा नहीं, न्याय मिलना चाहिए।