Manisha Dhanwani
11 Oct 2025
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक हमला बोल दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि 1 नवंबर 2025 से चीन से आने वाले सभी आयातित सामानों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इसके साथ ही अमेरिका में बने सभी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर और तकनीकी उत्पादों के निर्यात पर नियंत्रण लगाया जाएगा। ट्रंप का यह फैसला वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा रहा है और इसे नई “ट्रेड वॉर” की शुरुआत माना जा रहा है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा- “चीन अब बहुत आक्रामक होता जा रहा है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर चिप्स, जेट इंजन और अन्य तकनीकी उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली धातुओं पर नियंत्रण कर रहा है। अब अमेरिका भी उसी तरह सख्त जवाब देगा।”
ट्रंप ने कहा कि, चीन का यह कदम नैतिक रूप से शर्मनाक है, और अगर अब भी चीन पीछे नहीं हटा, तो आने वाले महीनों में और भी कड़े आर्थिक कदम उठाए जाएंगे।
दरअसल, चीन ने हाल ही में 5 दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम और यटरबियम के निर्यात पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। इन खनिजों का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, EV बैटरी और रक्षा उपकरणों में किया जाता है। अब चीन 17 में से 12 रेयर अर्थ मटेरियल्स पर नियंत्रण रखता है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की इंडस्ट्री पर असर पड़ सकता है।
इसी का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा- “चीन दुनिया को बंधक बना रहा है। अगर वे अपने कदम पीछे नहीं हटाते, तो अमेरिका अब चुप नहीं बैठेगा।”
अभी तक चीन से आने वाले सामानों पर अमेरिका 30% टैरिफ वसूल रहा था। ट्रंप के नए ऐलान के बाद यह दर बढ़कर कुल 130% हो जाएगी। यानी चीन के किसी भी उत्पाद को अमेरिका में बेचना पहले से कई गुना महंगा हो जाएगा। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और भी तनावपूर्ण हो सकता है।
ट्रंप प्रशासन अब AI, डेटा सिक्योरिटी, सैन्य तकनीक और औद्योगिक सॉफ्टवेयर जैसी हाई-टेक तकनीकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाएगा। इससे चीन की टेक कंपनियों, ऑटोमोबाइल सेक्टर और रक्षा उद्योग को झटका लग सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम अमेरिका की तकनीकी बढ़त बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।
आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप का यह कदम केवल आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति भी है। वॉशिंगटन के थिंक टैंक ग्लोबल इकनॉमिक फोरम के विशेषज्ञ डॉ. अलेक्जेंडर मिशेल कहते हैं कि, “ट्रंप 2025 के चुनाव से पहले खुद को America First नीति के समर्थक के रूप में दिखाना चाहते हैं। यह टैरिफ उसी दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।”
ट्रंप की घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट देखी गई। S&P 500 में 2.7% की गिरावट, डाउ जोन्स 878 अंक गिरा, जबकि नैस्डैक कंपोजिट में 3.6% की गिरावट दर्ज हुई। बड़ी टेक कंपनियां जैसे NVIDIA, Apple और Tesla के शेयरों में भी भारी नुकसान हुआ।
ट्रंप ने कहा कि, अब उन्हें APEC सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की कोई वजह नहीं दिखती। हालांकि, उन्होंने अपनी बैठक रद्द नहीं की है, लेकिन साफ कहा कि अगर चीन आक्रामक रवैया जारी रखता है, तो किसी बातचीत का कोई मतलब नहीं रहेगा।