Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
भोपाल। दरभंगा एम्स के डायरेक्टर डॉ. माधवानंद अब एम्स भोपाल के निदेशक भी होंगे। केन्द्र सरकार द्वारा सोमवार को उन्हें एम्स भोपाल का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। वे एम्स भोपाल में स्थाई निदेशक आने तक जिम्मेदारी संभालेंगे। मालूम हो कि एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह का तीन साल का कार्यकाल सोमवार को पूरा हो गया। उन्हें आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (सैफई, इटावा) का नया कुलपति नियुक्त किया है। वे इस पद पर तीन साल तक रहेंगे।
मालूम हो कि केंद्रीय मंत्रालय ने एम्स भोपाल के नए निदेशक की नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी जारी किया है। इसमें इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए हैं। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक डॉ. माधवानंद कर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक रहेंगे। इसके साथ ही नक्सल ऑपरेशन, एटीएस और पुलिस रेडियो विंग जैसे संवेदनशील महकमों में सेवाएं दे चुके, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी संदेश कुमार जैन ने भी एम्स भोपाल के नए डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) का पदभार ग्रहण किया।
नए अधिकारियों पर मरीजों के इलाज और सुविधाओं से जुड़े पहले से स्वीकृत प्रोजेक्ट्स को जल्द शुरू कराने की जिम्मेदारी है। इनमें कुछ प्रोजेक्ट्स के लिए जरूरी भवन का निर्माण कार्य भी चल रहा है। खासतौर पर एम्स भोपाल में प्रदेश का पहला सरकारी आईवीएफ क्लिनिक, गामा नाइफ, पीईटी-सीटी स्कैन, अपेक्स पीडियाट्रिक सेंटर, अपेक्स ट्रॉमा सेंटर, नया ओपीडी ब्लॉक और नई मल्टी-लेवल पार्किंग शामिल हैं।
2022-23 में डॉ. अजय सिंह द्वारा एम्स भोपाल का कार्यभार संभालने के बाद संस्थान में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। इन वर्षों में 58.7% अधिक (कुल 58,762) मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया गया। यही नहीं बड़ी सर्जरियों में 18.6%, रेडियोलॉजी जांच में 26.9% और लैब टेस्ट में 15.4% वृद्धि दर्ज हुई। मध्य भारत में पहली बार रोबोटिक सर्जरी और 3डी प्रिंट-असिस्टेड प्रक्रियाएं समेत कार्डियक, किडनी, कॉर्निया और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की शुरुआत हुई। ट्रांसजेंडर, किशोर, जेरियाट्रिक, इनफर्टिलिटी समेत106 से अधिक विशेष क्लिनिक शुरू हुए।
डॉ. सिंह ने सबसे ज्यादा बढ़ावा ट्रांसप्लांट को दिया। मप्र के सरकारी अस्पतालों में पहला सफल हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। इसके साथ ही किडनी , लिवर, बोनमैरो के सफल ट्रांसप्लांट के साथ अब लंग्स ट्रांसप्लांट की तैयारी की जा रही है। एम्स भोपाल में प्रदेश की सबसे बड़ी ट्रांसप्लांट यूनिट तैयार की गई। इसके साथ ही आर्टिफिशियल हार्ट व लंग मशीन, एडवांस कैथलैब, डेक्सा स्कैन, जीआई एंडोस्कोपी और कोबास 5800 जैसी आधुनिक मशीनें लगाई गईं।