काबुल। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा तनाव अब गंभीर संघर्ष में बदल गया है। शनिवार देर रात तालिबान सेना ने डूरंड लाइन के पास पाकिस्तान की कई चौकियों पर हमला किया। अफगान पक्ष ने इसे तीन दिन पहले पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमलों का जवाब बताया है। अफगान मीडिया के मुताबिक, इस हमले में 12 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और तालिबान ने दो सैन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया। संघर्ष के बाद दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं।
डूरंड लाइन के पास रातभर चली गोलीबारी
जानकारी के अनुसार, तालिबान लड़ाकों ने शनिवार रात 8 से 9 बजे के बीच डूरंड लाइन के करीब कई इलाकों में गोलाबारी शुरू की। इनमें कुनार, खोस्त, पक्तिका, नंगरहार और हेलमंद प्रांत प्रमुख हैं। अफगान रक्षा मंत्रालय ने कहा- “हमारा ऑपरेशन आधी रात को खत्म हुआ। अगर पाकिस्तान ने फिर से हमारी सीमा का उल्लंघन किया, तो अफगान सेना कड़ा जवाब देगी।”
वहीं, पाकिस्तानी सरकारी मीडिया ने दावा किया कि, पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान की 19 सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया है।
तीन दिन पहले हुए हमलों का लिया बदला
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि 9 अक्टूबर को काबुल में हुए हवाई हमले में पाकिस्तान का हाथ था। तालिबान के अनुसार, पाकिस्तान ने TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के ठिकानों को निशाना बनाया था। तालिबान प्रवक्ता ने कहा- “हमारे देश की संप्रभुता का उल्लंघन किया गया, इसलिए हमने जवाब दिया। यह कार्रवाई आत्मरक्षा में की गई है।”
पाकिस्तान ने कहा- अब चुप नहीं बैठेंगे
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा- “अफगानिस्तान को भारत की तरह जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान अब चुप नहीं बैठेगा, ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।” सरकारी चैनल रेडियो पाकिस्तान के अनुसार, अफगान हमले छह अलग-अलग जगहों से किए गए थे।पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में 3 अफगान ड्रोन मार गिराने का दावा किया है।
सऊदी अरब, कतर और ईरान ने जताई चिंता
- अफगान-पाकिस्तान संघर्ष पर सऊदी अरब, कतर और ईरान ने गहरी चिंता व्यक्त की है।
- कतर ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की है।
- सऊदी सरकार ने कहा कि दोनों देशों को “क्षेत्रीय स्थिरता और शांति” के लिए हिंसा रोकनी चाहिए।
TTP है PAK-अफगान जंग की जड़?
- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) एक आतंकी संगठन है जो पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ लड़ता है।
- 2007 में बैतुल्लाह मेहसूद ने इसे 13 विद्रोही गुटों को मिलाकर बनाया था।
- इसका मुख्यालय अफगानिस्तान की सीमा से सटे कबायली इलाकों में है।
- TTP का अफगान तालिबान से गहरा रिश्ता है। दोनों एक-दूसरे को समर्थन देते हैं।
- अमेरिका पहले ही पाकिस्तान को चेतावनी दे चुका है कि. TTP उसके परमाणु ठिकानों तक पहुंच सकता है।
132 साल पुराना डूरंड लाइन विवाद
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच डूरंड लाइन विवाद की जड़ 1893 में है, जब ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच यह सीमा तय की गई थी। इस रेखा की लंबाई 2430 किमी है, जो आज खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और कबायली इलाकों से गुजरती है। तालिबान इस समझौते को गैरकानूनी मानता है और इसे खत्म करने की मांग करता है।
सीमा पर बिगड़ते जा रहे हालात
सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी गोलीबारी और मोर्टार हमले जारी हैं। अफगान मीडिया का कहना है कि कई पाकिस्तानी पोस्टें तबाह हो गईं, जबकि पाकिस्तानी पक्ष ने अफगान ड्रोन और हथियार नष्ट करने का दावा किया। स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है और सीमा से सटे इलाकों में नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।
विशेषज्ञ बोले- दक्षिण एशिया की शांति पर खतरा
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष फिलहाल रुकने के आसार नहीं हैं। काबुल में पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक और तालिबान की जवाबी कार्रवाई ने पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता पर खतरा पैदा कर दिया है। अगर यह तनाव जारी रहा, तो भारत, ईरान और मध्य एशिया के देशों पर भी सुरक्षा असर पड़ सकता है।