Manisha Dhanwani
12 Oct 2025
काबुल। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव एक बार फिर हिंसक मोड़ पर जा पहुंचा है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने रविवार को दावा किया कि उसके सैनिकों ने रात में चलाए गए सैन्य अभियानों में 58 पाक सैनिकों को मार गिराया है और पाकिस्तान की 25 सैन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया है। यह कार्रवाई, अफगान पक्ष के अनुसार पाकिस्तान द्वारा अफगान सीमा और हवाई क्षेत्र के बार-बार उल्लंघन के जवाब में की गई है। तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा अफगान सेना ने यह जवाबी कार्रवाई रात भर चले अभियानों के दौरान की। मुजाहिद के अनुसार, पाक सेना के 30 से अधिक सैनिक घायल हुए हैं और कई को बंदी बना लिया गया है।
इस अभियान को पाकिस्तान की काबुल एयरस्ट्राइक की जवाबी कार्रवाई बताया जा रहा है। पाक सेना ने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर किए हवाई हमले में टीटीपी प्रमुख नूर वली महसूद समेत 12 लोग मारे गए थे। महसूद के मारे जाने से अफगानिस्तान का गुस्सा भड़क उठा था। नूर वली महसूद का नाम लंबे समय पाकिस्तान की हिटलिस्ट में था। खास बात यह है कि यह हमला उस समय किया गया तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत दौर पर दिल्ली में हैं। हालांकि पाकिस्तान ने काबुल पर एयरस्ट्राइक की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन तालिबान ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है।
तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा यह कदम आत्मरक्षा में उठाया गया है, क्योंकि पाकिस्तान लगातार अफगान सीमा का उल्लंघन कर रहा है। यह घटना दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद अविश्वास और तनाव को और बढ़ा सकती है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा जिसे डुरंड रेखा कहा जाता है, लंबे समय से विवादित रही है। तालिबान सरकार डुरंड रेखा को मान्यता नहीं देती, जबकि पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के सुरक्षा बलों के बीच पहले भी कई बार झड़पें हो चुकी हैं। हालांकि अभी तक पाकिस्तान की सेना या विदेश मंत्रालय की ओर से इस कथित घटना की कोई पुष्टि या प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पाकिस्तानी मीडिया में भी इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं। कुछ रिपोर्टें कहती हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में संघर्ष हुआ है, लेकिन किसी बड़े पैमाने के नुकसान की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह घटना ऐसे समय सामने आई है, जब क्षेत्र में सुरक्षा अस्थिरता, सीमा पार आतंकवाद और कूटनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दोनों देशों ने संयम नहीं बरता, तो यह सीमा संघर्ष एक बड़े सैन्य टकराव में बदल सकता है, जिससे दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।