Shivani Gupta
7 Nov 2025
Mithilesh Yadav
7 Nov 2025
Naresh Bhagoria
7 Nov 2025
खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की अदालत ने एक सनसनीखेज मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जादू-टोने के शक में कुल्हाड़ी से पड़ोसी की हत्या करने वाले आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले को “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” मानते हुए कहा कि अपराध इतना नृशंस था कि किसी भी तरह की नरमी उचित नहीं होगी।
यह फैसला द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अनिल चौधरी की अदालत ने शनिवार को सुनाया। आरोपी चंपालाल उर्फ नंदू (23 वर्ष) को भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) के तहत दोषी पाया गया और उसे मृत्युदंड (फांसी) की सजा दी गई। साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया गया।
यह मामला पंधाना थाना क्षेत्र के ग्राम छनेरा का है, जहां 12 दिसंबर 2024 की रात आरोपी चंपालाल ने अपने पड़ोसी रामनाथ बिलोटिया की कुल्हाड़ी से गर्दन काटकर हत्या कर दी थी। आरोपी को शक था कि रामनाथ जादू-टोना करता है। हत्या के बाद आरोपी घटनास्थल पर ही बैठा रहा और बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
अभियोजन पक्ष ने मामले को गंभीर बताते हुए सात महीनों के भीतर इसका निपटारा कराया। न्यायालय ने इसे 'अत्यंत जघन्य अपराध' बताया और अभियोजन की दलीलों से सहमत होते हुए कहा कि ऐसी घटना समाज के लिए चेतावनी है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन द्वारा पेश किए गए वैज्ञानिक और प्रत्यक्ष सबूत अपराध को पूरी तरह सिद्ध करते हैं। डीएनए रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि आरोपी के कपड़ों और हत्या में इस्तेमाल कुल्हाड़ी पर मृतक का खून लगा था। इसके साथ ही मृतक की पत्नी शांतिबाई बिलोटिया के बयान को अदालत ने सबसे अहम गवाही माना। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पति की हत्या अपनी आंखों के सामने होते देखी। शांतिबाई ने कहा, “रात करीब 2:30 बजे मेरे पति घर से बाहर निकले, तभी पड़ोसी नंदू ने उन पर कुल्हाड़ी से वार किया और बोल रहा था कि तू जादू-टोना करता है।”
सुनवाई के दौरान अभियोजन ने अदालत से फांसी की सजा की मांग की। आरोपी के वकील ने दलील दी कि यह उसका पहला अपराध है और उम्र भी कम है, इसलिए उसे जीवनदान दिया जाए। लेकिन अदालत ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत फोटोग्राफ, डीएनए रिपोर्ट और घटनास्थल के सबूतों को देखते हुए कहा कि आरोपी ने बिना किसी विवाद या रंजिश के यह हत्या की।
जज ने अपने आदेश में कहा- यह अपराध सामान्य नहीं बल्कि अत्यंत जघन्य है। आरोपी को अपने किए का कोई पछतावा नहीं दिखा। इसलिए इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ श्रेणी में रखा गया और आरोपी को तब तक फांसी पर लटकाने का आदेश दिया गया जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।
पुलिस अधीक्षक मनोज राय ने कहा कि यह मामला नृशंस हत्या का था और इसमें न्याय दिलाने के लिए पुलिस और अभियोजन ने पूरी तत्परता से काम किया। उन्होंने कहा, डीएनए रिपोर्ट और गवाहों के बयानों ने सच्चाई सामने रखी। सिर्फ 7 महीने में आरोपी को फांसी की सजा दिलाना पुलिस और अभियोजन की संयुक्त सफलता है।