Peoples Reporter
8 Oct 2025
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए अच्छी खबर अभी दूर है। इस साल की शुरुआत में सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन सात महीने बीत जाने के बाद भी आयोग की संरचना और नियुक्तियां अधर में लटकी हुई हैं। इससे कर्मचारियों की बैचेनी लगातार बढ़ रही है।
सरकार ने अभी तक आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है। इतना ही नहीं, Terms of Reference (ToR) यानी आयोग के कामकाज की शर्तें भी तय नहीं हो पाई हैं। हाल ही में वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया कि मंत्रालयों, राज्यों और कर्मचारी संगठनों से सुझाव मांगे गए हैं। इन सुझावों के आधार पर कार्य-अवधि तय होने के बाद ही औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी।
यदि 7वें वेतन आयोग की समय-सीमा पर नजर डालें तो यह तस्वीर और साफ होती है। 7वां वेतन आयोग फरवरी 2014 में गठित हुआ था और लगभग डेढ़ साल बाद जून 2016 में इसकी सिफारिशें लागू की गईं। यानी गठन से लेकर अमल तक की प्रक्रिया में करीब ढाई साल का समय लगा। इसी पैटर्न पर देखा जाए तो 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने में भी इतना ही वक्त लग सकता है।
चूंकि 8वें वेतन आयोग की घोषणा हुए सात महीने हो चुके हैं और प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है, ऐसे में माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वास्तविक वेतन संशोधन का लाभ 2028 तक ही मिल पाएगा। यही वजह है कि कर्मचारी संगठनों का दबाव बढ़ रहा है, जबकि सरकार अभी सतर्क रुख अपनाए हुए है।