Manisha Dhanwani
20 Oct 2025
वाशिंगटन। फेफड़ों के कैंसर, दुनियाभर में तेजी से बढ़ते कैंसर के मामलों में से एक है। अध्ययनों में पाया गया है कि इस प्रकार के कैंसर का सबसे ज्यादा जोखिम उन लोगों में होता है. जो धूम्रपान करते हैं। इस बीच हालिया रिपोर्ट्स काफी चिंता बढ़ाने वाली है। इसमें कहा गया है कि नॉन स्मोकर्स यानी जिन लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया है, उनमें भी यह जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। इतना ही नहीं 50- 60 फीसदी लंग्स कैंसर के मामले नॉन स्मोकर्स में रिपोर्ट किए जा रहे हैं। सेकेंडहैंड स्मोकिंग उन लोगों में फेफड़ों के कैंसर के सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग 7,000 वयस्क सेकेंडहैंड स्मोकिंग के कारण फेफड़ों के कैंसर से मारे जाते हैं। सेकेंडहैंड स्मोकिंग का मतलब तंबाकू उत्पादों को जलाने से निकलने वाले धुएं में सांस लेने से है। मतलब अगर आपके साथी धूम्रपान करते हैं और उससे निकलने वाले धुएं में आप सांस ले रहे हैं तो इसके कारण भी आप में कैंसर का खतरा हो सकता है। डॉक्टर्स ने चिंता जताते हुए सभी लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है, लंग्स कैंसर हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण बनता है।
यूएस सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 50 फीसदी से अधिक फेफड़ों का कैंसर उन लोगों में देखा जा रहा है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है, क्योंकि एडेनोकार्सिनोमा या कैंसर उन कोशिकाओं में शुरू होता है, जो फेफड़ों की छोटी वायु थैलियों को घेरती हैं और बलगम जैसे पदार्थ बनाती है। धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के लगभग 20 फीसदी मामले अंदरूनी हिस्से की परत में देखे जा रहे हैं। इसके कारणों को समझने के लिए किए गए अध्ययन में पाया गया है कि कुछ स्थितियां इस जोखिम को बढ़ा रही हैं, जिनको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
कई अध्ययनों से पता चला है कि फेफड़ों के कैंसर की फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों को भी इस कैंसर का खतरा हो सकता है, भले ही वो धूम्रपान न करते हों। यूएस सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को फेफड़ों का कैंसर रहा हो, तो आपमें भी इसकी आशंका दोगुनी जाती है। ऐसे लोग जिनके दो या अधिक प्रथम-डिग्री के रिश्तेदार (भाई, बहन, माता-पिता या बच्चे) को फेफड़े का कैंसर हुआ है, उनमें फेफड़े का कैंसर होने की आशंका और भी अधिक होती है। इस तरह के जोखिम वालों को नियमित रूप से डॉक्टर से मिलकर जांच, सलाह लेना आवश्यक हो जाता है।