Aniruddh Singh
31 Dec 2025
बीजिंग। भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए सैन्य टकराव को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति गरमा गई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बाद अब चीन ने भी दावा किया है कि, उसने भारत-पाकिस्तान तनाव को कम कराने में मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी। हालांकि, भारत सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि सीजफायर पूरी तरह द्विपक्षीय सैन्य बातचीत का नतीजा था, इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं रही।
मंगलवार को बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय स्थिति और चीन के विदेश संबंधों पर आयोजित एक कार्यक्रम में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि दुनिया में स्थानीय युद्धों और सीमा पार संघर्षों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वांग यी के मुताबिक, इस साल दूसरे विश्व युद्ध के बाद की तुलना में स्थानीय युद्ध और सीमा पार संघर्ष ज्यादा बार भड़के। भू-राजनीतिक अस्थिरता लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने दावा किया कि, चीन ने अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान में “निष्पक्ष और सही रुख” अपनाया है। वांग ने जिन मुद्दों में चीन की मध्यस्थता का उल्लेख किया, उनमें उत्तरी म्यांमार, ईरान का परमाणु मुद्दा, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव, फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष, कंबोडिया-थाईलैंड विवाद शामिल हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने वांग यी के इस बयान को सोशल मीडिया पर भी साझा किया।
इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 50 से ज्यादा बार यह दावा कर चुके हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर उनकी मध्यस्थता से हुआ। हालांकि, भारत ने अमेरिकी दावों को भी उतनी ही सख्ती से खारिज किया है, जितना अब चीन के दावों को।
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भारत सरकार ने बार-बार दो टूक कहा है कि सीजफायर किसी बाहरी हस्तक्षेप के बिना हुआ। विदेश मंत्रालय ने 13 मई 2025 की प्रेस ब्रीफिंग में स्पष्ट किया था कि- भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच 10 मई 2025 को 15:35 बजे फोन पर बातचीत हुई। इसी बातचीत के बाद जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनी
नई दिल्ली का रुख दशकों से एक-सा रहा है कि, भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय मामलों में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका स्वीकार नहीं की जाएगी।
यह पूरा घटनाक्रम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा है, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया।
प्रमुख घटनाएं
इसके जवाब में-
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चीन भले ही मध्यस्थता का दावा कर रहा हो, लेकिन उसकी भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठते रहे हैं। चीन, पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। पाकिस्तान के कुल सैन्य आयात का 81% से ज्यादा हिस्सा चीन से आता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया।
अमेरिकी कांग्रेस से जुड़ी संस्था US-China Economic and Security Review Commission की रिपोर्ट में कहा गया कि, भारत-पाक चार दिन के संघर्ष में चीन के हथियारों का इस्तेमाल “लाइव लैब” की तरह हुआ। HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 मिसाइल और J-10 फाइटर जेट पहली बार असली युद्ध में इस्तेमाल हुए।
भारतीय वायुसेना ने संघर्ष के दौरान चीन की PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल को भारतीय सीमा के भीतर ही मार गिराया। मिसाइल किसी भी लक्ष्य को नुकसान पहुंचाने में नाकाम रही। डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने आरोप लगाया था कि चीन ने इस संघर्ष को अपने रणनीतिक हितों के लिए “लाइव लैब” के तौर पर इस्तेमाल किया और पाकिस्तान को व्यापक समर्थन दिया।
नवंबर में आई एक अमेरिकी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि, ऑपरेशन सिंदूर के बाद सोशल मीडिया पर AI-जनरेटेड फर्जी तस्वीरें फैलाई गईं। मकसद भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की छवि खराब करना और चीन के J-35 फाइटर जेट को बढ़ावा देना था।
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