Manisha Dhanwani
21 Aug 2025
उत्तराखंड के धराली गांव में भीषण तबाही मची है। गांव पूरी तरह मलबे में दब चुका है। जहां कभी बाजार और सड़कें थीं, वहां अब सिर्फ 20 फीट ऊंचा मलबा और गहरा सन्नाटा है। जेसीबी और दूसरी बड़ी मशीनें 36 घंटे बाद भी मौके पर नहीं पहुंच पाई हैं। सेना के जवान अपने हाथों से भारी-भारी पत्थरों के नीचे दबे लोगों को तलाश रहे हैं।
आपदा के वक्त गांव के अधिकतर बुजुर्ग करीब 300 मीटर दूर मंदिर में पूजा में शामिल थे, इसलिए वे बच गए। लेकिन गांव में मौजूद युवा, कारोबारी और पर्यटक सैलाब की चपेट में आ गए। अंदेशा है कि 150 से ज्यादा लोग दबे हो सकते हैं।
धराली से 60 किमी दूर भटवारी में भास्कर की टीम मौजूद है। यहां से आगे सड़क 5 जगह से टूटी हुई है। इस कारण प्रशासन और राहत टीमें भी आगे नहीं जा सकीं। बड़ी मशीनें और अतिरिक्त सेना टुकड़ियां भी धराली तक नहीं पहुंच पाईं।
गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी के पास पुल बह गया है। सेना यहां वैली ब्रिज बना रही है जो गुरुवार तक तैयार हो सकता है। इसके बाद ही सहायता तेजी से पहुंचाई जा सकेगी।
पूरा राहत अभियान अब सेना के हवाले कर दिया गया है। साथ ही, वायुसेना भी MI-17 हेलिकॉप्टर, ALH MK-3 एयरक्राफ्ट और AN-32, C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के साथ राहत कार्य में जुट रही है। ये जहाज आगरा से देहरादून पहुंच चुके हैं और गुरुवार को उड़ान भर सकते हैं।
धराली में इस तबाही की मुख्य वजह बादल फटना नहीं, बल्कि हैंगिंग ग्लेशियर का टूटना है। मौसम विभाग के डायरेक्टर के मुताबिक, मंगलवार को धराली में सिर्फ 2.7 सेमी बारिश हुई थी, जो सामान्य थी।
वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक ने बताया कि यह प्राकृतिक आपदा जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियर पिघलने की वजह से हुई है। ट्रांस-हिमालय क्षेत्र में तापमान बढ़ने से श्रीखंड पर्वत पर मौजूद हैंगिंग ग्लेशियर टूट कर नीचे आया, जिससे ये भयानक सैलाब आया।
अब तक इस आपदा में 5 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 2 के शव बरामद हो गए हैं। धराली, हर्षिल और सुखी टॉप जैसे इलाकों में सर्च ऑपरेशन अब भी जारी है। गंगोत्री हाईवे और आसपास से केरल के 28 और महाराष्ट्र के 51 पर्यटकों को सेना ने सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया है।