Manisha Dhanwani
12 Sep 2025
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका ने रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए एक नया कदम उठाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G7 देशों से अपील की है कि वे भारत और चीन से रूस का तेल खरीदने पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएं। उनका मानना है कि, इससे रूस की युद्ध मशीन पर लगाम लगेगी और यूक्रेन में युद्ध लंबा खिंचने से रोका जा सकेगा।
ट्रंप इसे अपनी “पीस एंड प्रॉस्पेरिटी एडमिनिस्ट्रेशन” का अहम हिस्सा बता रहे हैं और साथ ही यूरोपीय संघ से भी पहले इस दिशा में समर्थन मांग चुके हैं।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप चाहते हैं कि G7 देशों के वित्त मंत्री वीडियो कॉल के जरिए इस प्रस्ताव पर चर्चा करें। अमेरिकी ट्रेज़री के प्रवक्ता ने कहा कि चीन और भारत द्वारा खरीदा गया रूसी तेल पुतिन की युद्ध क्षमता को बढ़ा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि युद्ध खत्म होते ही यह टैरिफ हटा दिए जाएंगे।
ट्रंप का मानना है कि रूस को आर्थिक रूप से दबाव में लाना ही शांति वार्ता की दिशा में पहला कदम है। अमेरिका ने पहले यूरोपीय संघ से भी अपील की थी कि भारत और चीन पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाए।
हालांकि यूरोपीय संघ इस प्रस्ताव पर सहज नहीं है। ब्रसेल्स का मानना है कि भारत और चीन जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों पर भारी टैरिफ से आर्थिक जोखिम और प्रतिशोध की आशंका बढ़ सकती है। ईयू का रुख है कि 2027 तक रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता कम करना और नए कड़े प्रतिबंध लागू करना अधिक व्यावहारिक विकल्प है।
ट्रंप चाहते हैं कि G7 देश भारत और चीन से रूसी तेल की खरीद पर 50 से 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएं। इससे भारत और चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा और रूस को युद्ध के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता सीमित होगी। इस प्रस्ताव पर शुक्रवार को G7 वित्त मंत्रियों की वीडियो कॉल में चर्चा होगी।
राष्ट्रपति ट्रंप भारत को अपना “सच्चा मित्र” बताते हुए एक ओर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी भी दे रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका अपनी विदेश नीति में कभी-कभी विरोधाभासी कदम उठाता रहा है।
इस समय G7 की अध्यक्षता कनाडा कर रहा है। कनाडा ने इस बैठक की पुष्टि की है और कहा कि वह रूस की युद्ध क्षमता पर और दबाव बढ़ाने के लिए आगे के कदम उठाने पर विचार करेगा।