Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
Manisha Dhanwani
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया बड़े आर्थिक और राजनीतिक बदलावों के दौर से गुजर रही है। अब वैश्विक शक्ति केवल एक देश के हाथ में नहीं है। कई नए ताकतवर केंद्र उभर चुके हैं। ऐसे में कोई भी देश, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली हो, अपनी बात दूसरे देशों पर जबरदस्ती नहीं थोप सकता।
जयशंकर ने कहा कि दुनिया की आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था पूरी तरह बदल चुकी है। अब एक नहीं, बल्कि कई जगहों से शक्ति और प्रभाव काम कर रहा है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय फैसले पहले से ज्यादा जटिल हो गए हैं।
उन्होंने बताया कि अमेरिका से रिश्ते अब पहले से ज्यादा जटिल हो गए हैं। चीन के साथ बातचीत और रणनीति बनाना भी आसान नहीं रहा। वहीं यूक्रेन युद्ध के कारण रूस से रिश्तों को लेकर भारत पर दबाव बनाया जा रहा है।
जयशंकर ने कहा कि देशों के बीच स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा चल रही है, जिससे दुनिया में एक नया संतुलन बन रहा है। अब दुनिया एक ध्रुवीय नहीं, बल्कि बहु-ध्रुवीय हो चुकी है।
आज ताकत सिर्फ सेना और हथियारों तक सीमित नहीं है। इसमें व्यापार, ऊर्जा, तकनीक, प्राकृतिक संसाधन, सैन्य क्षमता और मानव प्रतिभा भी शामिल है। इसी वजह से वैश्विक शक्ति को समझना अब ज्यादा मुश्किल हो गया है।
उन्होंने कहा कि यूरोप भारत का महत्वपूर्ण साझेदार है और इस रिश्ते को और मजबूत करने की जरूरत है। पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते भी उतार-चढ़ाव वाले रहते हैं। उनकी घरेलू राजनीति में भारत अक्सर एक बड़ा मुद्दा बन जाता है।
जयशंकर ने उदाहरण देते हुए कहा कि श्रीलंका में चक्रवात आया तो भारत तुरंत मदद लेकर पहुंचा। कोविड काल में पड़ोसी देशों को वैक्सीन भारत ने दी। यूक्रेन युद्ध के दौरान जब पेट्रोल, गेहूं और खाद की कमी हुई, तब भी भारत ने सहायता की।
उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों और भारत के बीच ऐतिहासिक और भावनात्मक जुड़ाव रहा है। ओमान जैसे देश कभी भारत के साथ समुद्री व्यापार के बड़े केंद्र थे। विभाजन के बाद यह जुड़ाव कमजोर हुआ, अब इसे फिर से मजबूत करने की जरूरत है।
जयशंकर ने कहा कि खाड़ी, दक्षिण-पूर्व एशिया, हिंद महासागर और मध्य एशिया में भारत की गहरी छाप है। दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में नहीं, बल्कि कंबोडिया में है, जो भारत के सांस्कृतिक प्रभाव को दिखाता है।
उन्होंने युवाओं से कहा कि विदेश नीति को समझते समय स्पष्ट सोच रखें। फैसले लें, ठोस रणनीति बनाएं और जो सकारात्मक पहलू भारत के हित में हों, उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करें।