Hemant Nagle
18 Nov 2025
नई दिल्ली। मॉनसून सत्र के दौरान मंगलवार को राज्यसभा में उस समय तीखा राजनीतिक माहौल बन गया जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन के भीतर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों की मौजूदगी का मुद्दा उठाया। इस बयान के बाद सदन में भारी हंगामा देखने को मिला और दोनों पक्षों में तीखी बहस छिड़ गई।
इस दौरान नेता सदन और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्षी दलों को उनके व्यवहार को लेकर जमकर लताड़ लगाई और तंज कसते हुए कहा, "विपक्ष की भूमिका निभानी नहीं आती तो मुझसे ट्यूशन ले लो। अभी तो 30-40 साल विपक्ष में रहना है।"
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सदन के भीतर सीआईएसएफ जवानों को बुलाया गया था। उन्होंने इसे असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताया। उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गई और सदन में जोरदार शोरगुल शुरू हो गया। खड़गे का कहना था कि लोकतंत्र में ऐसे कदम स्वीकार नहीं किए जा सकते और यह विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश है।
इस मुद्दे पर सदन में नेता सदन जेपी नड्डा खड़े हुए और उन्होंने बेहद सख्त लहजे में विपक्ष को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब कोई नेता बोल रहा होता है, तो उसके पास आकर नारेबाजी करना न तो संसदीय परंपरा है और न ही लोकतांत्रिक मर्यादा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "मैं यहां बोल रहा हूं और कोई मेरे पास आकर चिल्लाएगा, तो क्या यह लोकतंत्र होगा? यह तरीका नहीं है, यह नियमों के खिलाफ है।"
जेपी नड्डा यहीं नहीं रुके। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, "मैंने इन लोगों से कई बार कहा है कि 40 साल से विपक्ष में रहा हूं, कुछ ट्यूशन ले लो। विपक्ष कैसे चलता है, ये मैं सिखा दूंगा। अभी तो आप नए-नए हो, अभी सिर्फ 10 साल हुए हैं, अभी तो आपको 30-40 साल और विपक्ष में रहना है।"
उन्होंने विपक्ष की भूमिका को गंभीरता से निभाने की सलाह देते हुए कहा कि अगर विपक्ष लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों को नहीं समझेगा, तो देश को नुकसान होगा।
विपक्ष के नेता खड़गे ने भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का हवाला देते हुए कहा कि विपक्ष द्वारा सदन में बाधा डालना उसका लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि जेटली स्वयं कहा करते थे कि कभी-कभी सरकार को मजबूर करने के लिए डिसरप्शन भी जरूरी हो जाता है। इस पर जेपी नड्डा ने पलटवार करते हुए कहा कि "डिसरप्शन" और "उपद्रव" में फर्क होता है। उन्होंने कहा कि लाठी भांजना, नारेबाजी करना, और मंच पर चढ़ जाना लोकतांत्रिक अधिकार नहीं है।
जेपी नड्डा ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की रूलिंग का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा, "आपकी टिप्पणी आने वाले समय में राज्यसभा की कार्यवाही के लिए संदर्भ बिंदु बनेगी। आपने यह स्पष्ट किया कि सदन को बाधित करना नियमों के खिलाफ है।"
नड्डा ने आगे कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को बोलने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी को बोलने से रोका जाए। उन्होंने विपक्ष से अपील करते हुए कहा कि बहस और विमर्श लोकतंत्र की आत्मा हैं, लेकिन उसकी गरिमा भी बनाए रखना जरूरी है।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच विपक्षी सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे और हंगामा करते रहे। इससे तंग आकर उपसभापति ने राज्यसभा की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया। यह घटनाक्रम बताता है कि संसद में बहस और संवाद की जगह अब टकराव और शोरगुल ने ले ली है।