Aniruddh Singh
20 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
बर्लिन। जर्मनी की प्रमुख औद्योगिक कंपनी थिसेनक्रुप इस समय अपनी स्टील डिवीजन की बिक्री को लेकर भारत की जिंदल स्टील इंटरनेशनल के साथ बातचीत कर रही है। थिसेनक्रुप के सीईओ मिगुएल लोपेज ने बताया कि दोनों कंपनियों के बीच अच्छा सहयोग चल रहा है, लेकिन इन वार्ताओं को अंतिम रूप तक पहुंचने में अभी कुछ महीने लग सकते हैं। यह सौदा थिसेनक्रुप की व्यापक पुनर्गठन रणनीति का सबसे अहम हिस्सा है, क्योंकि कंपनी कई सालों से अपने स्टील व्यवसाय को बेचने का प्रयास कर रही है, परंतु अब तक वह सफल नहीं हो पाई है। दरअसल, जिंदल स्टील इंटरनेशनल ने पिछले महीने थिसेनक्रुप स्टील यूरोप (टीकेएसई) के अधिग्रहण के लिए एक इंडीकेटिव बिड यानी प्रारंभिक प्रस्ताव दिया था। जिंदल के प्रस्ताव के परिणामस्वरूप, थिसेनक्रुप और चेक अरबपति डैनियल क्रेटिंस्की के बीच 50:50 संयुक्त उद्यम पर लंबे समय से चल रही बातचीत समाप्त हो गई है।
टीकेएसई यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी है। अगर यह सौदा पूरा होता है, तो जिंदल ग्रुप यूरोपीय बाजार में अपनी स्थिति को बेहद मजबूत बना सकेगा। जिंदल की यह पेशकश केवल व्यावसायिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कंपनी ग्रीन स्टील यानी पर्यावरण के अनुकूल इस्पात उत्पादन में निवेश करने की योजना बना रही है। मिगुएल लोपेज ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य अपनी स्टील यूनिट का पुनर्गठन करना है और जिंदल के प्रस्ताव का गहराई से मूल्यांकन करना है। यह भी उल्लेखनीय है कि इस संभावित डील के चलते थिसेनक्रुप ने चेक अरबपति डैनियल क्रेटिन्सकी के साथ चल रही 50:50 स्टील जॉइंट वेंचर पर चर्चा को समाप्त कर दिया है।
इसका अर्थ यह है कि थिसेनक्रुप अब पूरी तरह से जिंदल स्टील के प्रस्ताव पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है। थिसेनक्रुप के लिए स्टील व्यवसाय की बिक्री लंबे समय से एक बड़ी चुनौती रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कंपनी पर भारी पेंशन लायबिलिटीज यानी कर्मचारियों की पेंशन से जुड़ी वित्तीय देनदारियां हैं। इन दायित्वों के कारण संभावित खरीदारों को जोखिम महसूस होता रहा है और कई पिछले सौदे अधर में रह गए थे। लेकिन जिंदल स्टील की रुचि और निवेश की प्रतिबद्धता से कंपनी को उम्मीद है कि इस बार सौदा संभव हो सकता है। यदि यह डील पूरी होती है, तो यह दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। थिसेनक्रुप के लिए यह अपने वित्तीय बोझ को कम करने और भविष्य में अधिक लाभकारी क्षेत्रों पर ध्यान देने का अवसर मिलेगा।
हीं, जिंदल स्टील इंटरनेशनल के लिए यह सौदा यूरोप में उत्पादन और तकनीकी क्षमता बढ़ाने, वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी मजबूत करने और ग्रीन स्टील तकनीक में अग्रणी बनने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। कुल मिलाकर, यह सौदा भारतीय इस्पात उद्योग के वैश्विक विस्तार का प्रतीक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय कंपनियाँ अब न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी औद्योगिक पुनर्गठन और पर्यावरणीय नवाचार में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। आने वाले महीनों में इस वार्ता के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, क्योंकि यह न केवल दो कंपनियों का लेन-देन है, बल्कि यूरोपीय इस्पात उद्योग के भविष्य को भी नई दिशा दे सकता है।