नई दिल्ली। 74वें गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) के मौके पर पंजाब में अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया गया। बीटिंग रिट्रीट समारोह में करीब 25 हजार लोग शामिल हुए। इस दौरान सीमा पर मौजूद लोगों और जवानों ने जबरदस्त देशभक्ति का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में भारतीय जवानों का शौर्य देखने को मिला। बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान पूरा माहौल भारत माता की जय, वंदे मारतम और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा।
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बता दें कि अटारी बॉर्डर अमृतसर शहर से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और हर दिन सैकड़ों भारतीय, विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग बीटिंग रिट्रीट समारोह देखने के लिए पहुंचते हैं। BSF के जवानों के साथ-साथ उनके समकक्ष पाकिस्तानी रेंजर्स भी बीटिंग रिट्रीट समारोह में हिस्सा लेते हैं। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
पहली बार कब फहराया गया था तिरंगा ?
दरअसल, अटारी बॉर्डर पर 11 अक्टूबर 1947 को पहली बार तिरंगा लहराया गया था। भारत और पाकिस्तान परंपरागत तौर पर 1959 के बाद से अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह आयोजित कर रहे हैं और इस कार्यक्रम में भारी संख्या में दोनों देशों के लोग शामिल होते हैं। बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन 60 से 120 मिनट का होता है।
दोनों देशों की संयुक्त चेकपोस्ट स्थापित
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड पर अटारी-वाघा संयुक्त चेक पोस्ट स्थापित की गई थी, जहां भारत की तरफ को अटारी और पाकिस्तान की तरफ को वाघा के नाम से जाना जाता है। अटारी-वाघा बॉर्डर पर होने वाले इस समारोह के लिए दोनों देशों की सरकारों ने सहमति जाहिर की थी।
सूरज ढलने से पहले उतारा जाता है राष्ट्रीय ध्वज
अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत और पाकिस्तान की सीमा पर गश्त करने वाले जवान अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज सुबह फहराते हैं और शाम को सूरज ढलने से पहले तिरंगे को उतारा जाता है। राष्ट्रीय ध्वज को उतारने से पहले भारत और पाकिस्तान के सुरक्षाबल एक-दूसरे को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए चुनौती देते हैं और अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं।
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