People's Reporter
5 Nov 2025
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर आपत्तिजनक कार्टून साझा करने के मामले में आरोपी कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगले निर्देश तक उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी। मामले की अगली सुनवाई अगस्त में तय की गई है, हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है।
इससे पहले सोमवार को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की डबल बेंच ने मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर तुरंत राहत देने से इनकार कर दिया था और उन्हें मंगलवार तक का समय देते हुए माफी मांगने का निर्देश दिया था। इसके बाद मालवीय की ओर से एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट में उनका माफीनामा पेश किया।
हेमंत मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि किसी भी मुद्दे पर आलोचनात्मक राय रखना अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि पोस्ट को हटा दिया गया है और 2025 में मालवीय ने ऐसा कोई कार्टून साझा नहीं किया। इसके बाद भी एफआईआर दर्ज की गई। उन्होंने इस मामले को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला बताया।
इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मामला एक आपराधिक कृत्य है और इसमें रियायत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कुछ स्क्रीनशॉट कोर्ट के समक्ष रखे, जिन पर वकील ग्रोवर ने कहा कि ये सब इस एफआईआर से संबंधित नहीं हैं और इनमें तारीख तक नहीं है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर बढ़ते अपमानजनक व्यवहार पर नाराजगी जताई। जस्टिस धूलिया ने कहा कि यह निश्चित रूप से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है, जिस पर रोक जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर मालवीय सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट साझा करना जारी रखते हैं, तो राज्य उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
इंदौर के हेमंत मालवीय द्वारा बनाए गए कार्टून में RSS की ड्रेस पहने एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने झुका हुआ दिखाया गया था। उस व्यक्ति के शॉर्ट्स नीचे खिंचे हुए थे और प्रधानमंत्री को डॉक्टर की वेशभूषा में इंजेक्शन लिए दिखाया गया था। सोशल मीडिया पर इसे साझा करने के बाद विवाद खड़ा हो गया।
एडवोकेट विनय जोशी की शिकायत पर हेमंत मालवीय के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 299, 302, 352, 353 और आईटी एक्ट की धारा 67A के तहत मामला दर्ज किया गया था।
8 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि मालवीय ने स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा लांघी है और उन्हें अपनी सीमाएं नहीं पता। कोर्ट ने हिरासत में लेकर पूछताछ करने का आदेश भी दिया था।