Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को तीन अलग-अलग राजनीतिक मामलों की सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक लड़ाइयां अदालतों में नहीं, जनता के बीच लड़ी जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और कर्नाटक सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि अदालतों का इस्तेमाल राजनीतिक एजेंडा साधने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के खिलाफ फेक न्यूज मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय में दखल देने से साफ इनकार कर दिया।
CJI गवई ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जाए, यह कोर्ट का विषय नहीं है। हम याचिका खारिज करते हैं।”
तेजस्वी सूर्या पर आरोप था कि उन्होंने कर्नाटक के हावेरी जिले में एक किसान की आत्महत्या को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाई थी। कर्नाटक सरकार ने इस पर एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) घोटाले में ईडी द्वारा पूछताछ के लिए समन भेजा गया था। पार्वती ने इस समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जहां से उन्हें राहत मिली थी।
ईडी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन CJI गवई की पीठ ने साफ शब्दों में कहा, “ED का राजनीतिक इस्तेमाल न हो। हमें कुछ कठोर टिप्पणी न करने के लिए मजबूर न करें।”
ईडी की ओर से पेश हुए एएसजी एसवी राजू ने यह कहते हुए याचिका वापस ले ली कि इसे मिसाल न माना जाए। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि एकल न्यायाधीश का आदेश सही प्रतीत होता है और कोई गलती नहीं दिखती।
तीसरा मामला पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा था, जिसमें ममता बनर्जी पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया गया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ममता सरकार ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए पद से हटाए गए कर्मियों को वेतन देने की नीति बना दी।
CJI गवई ने सख्त लहजे में कहा, “क्या आपको इतना यकीन है कि अटॉर्नी जनरल से सहमति मिल जाएगी? हमें इसे खारिज कर देना चाहिए। राजनीतिक मुद्दों को अदालत में लाना गलत है।”
हालांकि कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार हफ्तों के लिए टाल दी और याचिकाकर्ता को फिर से तैयारी करने का मौका दिया।
CJI ने ईडी को खास तौर पर चेताया कि वे राजनीतिक मामलों में अपनी भूमिका को लेकर सतर्क रहें। उन्होंने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र में कुछ ऐसे अनुभव रहे हैं जिन्हें दोहराना नहीं चाहते। हमें प्रवर्तन निदेशालय के बारे में कुछ कठोर कहना पड़ेगा, अगर यही रवैया रहा।