Shivani Gupta
27 Nov 2025
Naresh Bhagoria
26 Nov 2025
Aakash Waghmare
26 Nov 2025
नई दिल्ली। दिल्ली-NCR में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गंभीर चिंता जताई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत ने साफ कहा कि, न्यायालय के पास कोई “जादू की छड़ी” नहीं है कि तुरंत हवा साफ कर दे। उन्होंने कहा कि, असली चुनौती समाधान ढूंढने की है और इसके लिए वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों को मिलकर काम करना होगा।
CJI सूर्यकांत ने स्पष्ट कहा कि, दिल्ली की खराब हवा का कारण एक नहीं, बल्कि कई हैं। उन्होंने कहा कि, हमें बताइए कि ऐसा कौन सा आदेश दें जिससे हवा तुरंत साफ हो जाए? समस्या सबको पता है, अब समाधान ढूंढने की जरूरत है। प्रदूषण को एक वजह से जोड़ना सबसे बड़ी गलती होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 1 दिसंबर तय की और कहा कि मुद्दे पर नियमित निगरानी जरूरी है, केवल दिवाली जैसे मौकों पर चर्चा का कोई फायदा नहीं।
सुनवाई के दौरान CJI ने अपनी व्यक्तिगत परेशानी भी बताई। उन्होंने कहा कि, मैं मंगलवार शाम एक घंटा टहलने गया था, वापस आया तो तबीयत बिगड़ गई। अब बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि, गंभीर प्रदूषण की वजह से सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वर्चुअल मोड में शिफ्ट करने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के वकीलों को इन-पर्सन सुनवाई से छूट देने पर भी चर्चा चल रही है।
बुधवार को हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार दर्ज किया गया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने तुरंत GRAP-3 के तहत लगाई गई पाबंदियां हटा लीं। राहत वाली घोषणाएं-
दिल्ली का बुधवार को AQI: 327
गुरुवार सुबह AQI: बहुत खराब श्रेणी में (300+)
सिर्फ दिल्ली-NCR ही नहीं, देशभर में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। CREA की नई सैटेलाइट-आधारित रिपोर्ट बताती है कि, देश के 749 में से 447 जिले (लगभग 60%) पीएम 2.5 के राष्ट्रीय मानक से ऊपर हैं। 19 राज्यों में प्रदूषण का वार्षिक औसत भी तय सीमा से ज्यादा है। कोई भी जिला WHO के सुरक्षित मानक (5 µg/m³) तक नहीं पहुंच पाया है। सबसे ज्यादा प्रदूषित 50 जिले दिल्ली, असम, हरियाणा और बिहार में केंद्रित हैं। हर मौसम में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा, हिमाचल, चंडीगढ़ की हवा खराब रहती है।
राष्ट्रीय मानक (NAAQS) के अनुसार, PM 2.5 की सीमा 40 µg/m³ है, लेकिन अधिकांश जिले इसकी दोगुनी से ज्यादा पर पहुंच चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि, प्रदूषण एक लगातार निगरानी का विषय है। विशेषज्ञों के सुझाव के बिना समाधान संभव नहीं है। सरकार से पूछेंगे कि समिति ने क्या कदम उठाए। अब 1 दिसंबर की सुनवाई में कोर्ट यह देखेगा कि हवा सुधारने के लिए सरकार और एजेंसियों ने क्या ठोस कार्रवाई की है।