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Naresh Bhagoria
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नई दिल्ली। लद्दाख के प्रसिद्ध शिक्षा सुधारक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लेह हिंसा के दौरान मारे गए चार लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने जोधपुर सेंट्रल जेल से एक पत्र लिखा, जो रविवार को जारी किया गया।
पत्र में उन्होंने लिखा-“जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। मैं घायलों और गिरफ्तार लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं। 4 लोगों की मौत की जांच एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग से होनी चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में ही रहूंगा।” यह पत्र एडवोकेट मुस्तफा हाजी ने साझा किया है, जो लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के कानूनी सलाहकार हैं। उन्होंने और वांगचुक के भाई त्सेतन दोरजे ले ने 4 अक्टूबर को जोधपुर सेंट्रल जेल में उनसे मुलाकात की थी।
सोनम वांगचुक को 24 सितंबर को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 26 सितंबर को उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में ले लिया गया। वह इस समय जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी को लेकर देशभर में विरोध जारी है, और कई सामाजिक संगठनों ने उनकी रिहाई की मांग की है।
24 सितंबर को लेह में राज्य का दर्जा बहाल करने और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन हिंसक हो गया और इसमें एक पूर्व सैनिक सहित चार लोगों की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया। अब जेल में बंद रहते हुए उन्होंने कहा है कि जब तक स्वतंत्र न्यायिक जांच नहीं होती, वे जेल में ही रहेंगे।
वांगचुक ने अपने भाई और वकील के माध्यम से संदेश भेजते हुए कहा- “जब तक स्वतंत्र न्यायिक जांच का आदेश नहीं दिया जाता, हम जेल में रहने के लिए तैयार हैं।” उनके अनुसार, यह सिर्फ चार लोगों की मौत की जांच नहीं, बल्कि लद्दाख के जनमानस की आवाज है, जिसे निष्पक्ष रूप से सुना जाना चाहिए।
अपने पत्र में वांगचुक ने लद्दाखवासियों से शांति और एकता बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने लिखा- “मैं लद्दाख के सभी लोगों से आग्रह करता हूं कि वे अहिंसा के सच्चे गांधीवादी रास्ते पर चलें और शांतिपूर्ण तरीके से अपना संघर्ष जारी रखें।” उन्होंने कहा कि लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग पूरी तरह संवैधानिक और न्यायसंगत है।
वांगचुक ने अपने पत्र में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के प्रयासों को समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने लिखा- लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की हमारी मांग न्यायोचित है। LAB जो भी कदम लद्दाख के हित में उठाएगा, मैं उसके साथ पूरी तरह हूं। उन्होंने यह भी कहा कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया।
वांगचुक की रिहाई के लिए उनकी पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अनुच्छेद 32 के तहत हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध और असंवैधानिक है। इस याचिका पर 6 अक्टूबर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच करेगी।