Hemant Nagle
22 Dec 2025
Naresh Bhagoria
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Naresh Bhagoria
22 Dec 2025
पल्लवी वाघेला
भोपाल। नेपाल में सोशल मीडिया बैन करने पर जेन जी ने जो बवाल मचाया वो सुर्खियों में है। वहीं इससे हटकर मप्र के लिए यह अच्छी खबर है कि यहां जेन जी मोबाइल और खासकर सोशल मीडिया की लत छुड़ाने खुद संपर्क कर रहे हैं। उमंग, चाइल्ड हेल्पलाइन और वंद्रेवाला फाउंडेशन की हेल्पलाइन पर सात माह में 601 बच्चों ने डिजिटल डिटॉक्स की जानकारी ली है। इनमें से 53 बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्होंने काफी हद तक इस आदत पर काबू पा लिया है। वहीं 228 बच्चों कहा कि वह खुद में सकारात्मक बदलाव महसूस कर रहे हैं। बता दें, इसमें 16 से लेकर 19-20 वर्ष तक के युवा शामिल हैं। 8 से 15 साल तक के बच्चों के मामले में अभिभावक ही मदद मांग रहे हैं।
अनरीड मैसेज से बेचैनी: हेल्पलाइन पर कॉल करने वाले जेन जी में से ज्यादातर मनोविज्ञान की भाषा में जीरो इनबॉक्स की आदत के शिकार हैं। यानी मैसेज के फ्लैश होते ही तुरंत उसे खोलकर पढ़ना और जवाब देना। अपडेट रहने की आदत उन्हें बार-बार सोशल मीडिया देखने की लत लगा देती है। चैटिंग ऐप्स से कुछ देर की दूरी उन्हें डराती है। उन्हें लगता है कुछ छूट जाएगा। इसे फोमो या फियर आॅफ मिसिंग आउट कहा जाता है। कॉल्स में बच्चों ने बताया कि वह अपने करियर या एजुकेशन पर ध्यान देना चाहते हैं, पर मोबाइल डिस्ट्रेक्ट करता है। वो पूरी तरह मोबाइल छोड़ना नहीं चाहते, लेकिन लत पर काबू पाने मदद चाहते हैं।
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ग्वालियर की 16 वर्षीय किशोरी ने कहा कि इस साल उसका रिजल्ट बिगड़ चुका है। वह आगे यह नहीं चाहती, लेकिन नोटिफिकेशन आते ही हाथ अपने आप मोबाइल पर चले जाते हैं। नोटिफिकेशन साउंड न आए तब भी बेचैनी होती है।
किशोरी ने कहा उसने डिजिटल डिटॉक्स के बारे में सुना है। इसे कैसे किया जाए?
धार जिले के 19 वर्षीय युवक ने कहा कि वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगा है। बार-बार मोबाइल देखने के कारण पिता से भी बहस हो चुकी है। उसे बहुत पछतावा हो रहा है। उसने कहा कि वह डिजिटल डिटॉक्स चाहता है, इसके लिए मदद चाहिए।
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-24 घंटे नोटिफिकेशन और डाटा आन रखने की आदत बदलें।
-हर चीज गूगल पर खोजने या समस्याओं का हल सोशल मीडिया पर पूछने की बजाए किताबों और परिवार की मदद लें।
-मोबाइल की स्क्रीन से हर आधे घंटे पर ब्रेक लें। इस दौरान आंखों और गर्दन को रिलैक्स करने वाली एक्सरसाइज करें।
-डिजिटल हाइजीन के तहत खाने या सोने से पहले मोबाइल और सोशल मीडिया न देंखे। रोज एक घंटा फिजिकल एक्टिविटी करें।
-डिजिटल फास्टिंग करें। पूरा परिवार कम से कम आधे घंटे के लिए मोबाइल बंद कर साथ बैठे और आपस में संवाद करें।
-माता-पिता इसे सजा नहीं, बल्कि थोड़ा एंटरटेनिंग बनाएं। फैमिली एक्टिविटी की जा सकती हैं।
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मोबाइल से थोड़ी सी दूरी या डिजिटल डिटॉक्स बच्चों और युवाओं के ओवरआल डेवलपमेंट में कारगर होता है। इससे कल्पना शक्ति, स्मरण, मानसिक और बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक रूप से भी लाभ मिलता है। ऐसे केसेस अब आने लगे हैं जिनमें बच्चे खुद इनिशिएटिव ले रहे हैं।
दिव्या दुबे मिश्रा, काउंसलर