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Shivani Gupta
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Manisha Dhanwani
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अशोक गौतम, भोपाल। पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) राष्ट्रीय परियोजना की डीपीआर को सरकार ने रिवाइज किया है। सिंहस्थ 2028 को देखते हुए शिप्रा नदी को भी अविरल और निरंतर प्रवाह बनाने के लिए योजना में शामिल किया गया है। इसके साथ ही 9691.66 करोड़ की 13 सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं को भी समझौते में शामिल करने के लिए जल शक्ति विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय से अनुरोध किया गया है।
रिवाइज्ड डीपीआर का फायदा भोपाल, इंदौर, उज्जैन विदिशा सहित 16 जिलों को होगा। इन जिलों में सिंचाई, उद्योग और लोगों को पीने का पानी मिलेगा। रिवाइज्ड डीपीआर के बाद परियोजना की लागत 75 हजार से बढ़कर 85 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। इसमें मप्र और राजस्थान सरकार का अंश 10% और केंद्र सरकार का 90% होगा। इस परियोजना में दोनों राज्यों के बीच एमओयू हो चुका है। डीपीआर तैयार होने के बाद दोनों राज्यों के बीच में पानी के लेन-देन की शर्तों पर समझौता होगा।
वर्ष 2003 में मप्र और राजस्थान की नदियों को लेकर एक योजना बनी थी, लेकिन दोनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार होने से प्रस्ताव अटक गया था। राजस्थान सरकार ने चंबल नदी पर बड़ा डैम बना लिया है, जिसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार हाईकोर्ट चली गई। पानी वितरण को लेकर सहमति नहीं बनने से मप्र सरकार परियोजना से पीछे हट गई। जनवरी 2024 में दोनों राज्यों के बीच फिर डीपीआर बनाने के संबंध में एमओयू हुआ।
तिलावद वृहद परियोजना, पाट वैराज, बिरगोद बैराज, रुदाहेड़ा बैराज, कातना माइक्रो सिंचाई परियोजना, खुमान सिंह शिवाजी परियोजना, नीमच जावद माइक्रो सिंचाई परियोजना, कान्ह डायवर्सन, शिप्रा घाट निर्माण, निवाड़ी मध्य माइक्रो सिंचाई परियोजना, कल्याणपुरा वृहद सूक्ष्म सिंचाई परियोजना, नेवज-एक और नेवज-दो परियोजना शामिल हैं। इन परियोजनाओं से करीब दो लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 592.62 मिलियन घन मीटर जलभराव होगा।
मुरैना, शिवपुरी, गुना, भिंड, शाजापुर, देवास, उज्जैन, मंदसौर, भिंड, इंदौर, भोपाल, सीहोर, विदिशा, उज्जैन, नीमच, राजगढ़ को फायदा मिलेगा। इससे औद्योगिक बेल्ट वाले जिलों इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ में औद्योगीकरण को और बढ़ावा मिलेगा।
चंबल नदी महू से निकलती है। यह मप्र, राजस्थान होते हुए उप्र के जालौन जिले में यमुना नदी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदियां शिप्रा, छोटी कालीसिंध, सिवान्ना, रेतम, अंसार, कालीसिंध, बनास, छोटी पार्वती, सीप, कुंवारी, कूनो, अलनिया, मेज आदि शामिल हैं।
जल संसाधन विभाग के ईएनसी विनोद देवड़ा ने बताया कि पीकेसी परियोजना की रिवाइज्ड डीपीआर तैयार की गई है। इस परियोजना में चार और जिलों को जोड़ा गया है। उज्जैन, गुना सहित 6 अन्य जिलों के कवरेज एरिया को बढ़ाया गया है। रिवाइज्ड डीपीआर केंद्र सरकार के जल शक्ति विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय को भेजा जाएगा।