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बचपन में माता-पिता से बिछड़ी, बालिका गृह में पली- बढ़ी, अब मल्टीनेशनल कंपनी में कर रही ट्रेनिंग

जिंदगी में जीतने की जिद

राजीव कटारे-ग्वालियर। मन में कुछ करने की चाहत हो और सही मार्गदर्शन मिल जाए तो आपको सफल होने से कोई भी नहीं रोक सकता है। यह कहानी है, 19 साल की युवती की जिस ने जीवन के 10 वर्ष बालिका गृह में काटकर भी दूसरों के लिए मिसाल पेश की है। वे एक मल्टीनेशनल में ट्रेनिंग ले रही हैं, जल्द ही बड़ी कंपनी में जॉब करेंगी। आज से लगभग 10 साल पहले एक बड़े महानगर के बालिका गृह से शहर के बालिका गृह पहुंची थी।

माता -पिता की खोज के लिए न्यूज पेपर में प्रकाशित फोटो को देख कर शहर की एक दंपत्ति द्वारा महानगर के बालिका गृह से संपर्क कर बताया गया कि यह फोटो उनकी गुमशुदा पुत्री से मिलता है। इसलिए वे पुलिस द्वारा ग्वालियर लाई गई, लेकिन जिसने उन्हें अपनी बेटी बताकर ग्वालियर बुलाया, उसने लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद यह फिर से बालिका गृह पहुंच गई।

जिद से बनाया अपना मुकाम : लेकिन उसका पैरों पर खड़ा होने का जुनून कम होने की जगह और बढ़ गया। इसी का नतीजा है कि एक बड़ी कंपनी ने उन्हें ट्रेनिंग के लिए चुना गया है।

चार साल आश्रम में बिताए : शहर के प्रसिद्ध आश्रम के संचालक व समाज सेवी की मानें तो टीनेजर उन्हें चार साल पहले महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से भेजी गई थी। उसकी लगन को देखते हुए शिक्षा दिलाने में मदद की और कक्षा 12 में पढ़ने वाली लड़की को जिस मदद की जरूरत थी संस्था ने उसे पूरा किया। इससे वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके।

जिसने बुलाया उसी ने लेने से किया मना : इस लड़की को जिसने सालों पहले अपनी बेटी कहकर पड़ोसी राज्य से बुलाया था, उसने लेने से मना कर दिया। मुंबई महिला बाल विकास को जब यह लड़की मिली और उन्होंने सूचना जारी कि इसके बाद ग्वालियर के एक व्यक्ति ने अपनी बेटी कहकर ग्वालियर बुलवाया।

बाद में उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि यह हमारी बेटी नहीं है। इसके बाद से यह मजबूरी में महिला बाल विकास के आश्रम में जीवन यापन करना पड़ा, लेकिन बाद के चार सालों में उसने जो कर दिखाया उसकी तारीफ हो रही है।

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