
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डेरिवेटिव्स मार्केट में साप्ताहिक एक्सपायरी को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर F&O यानी फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली एक्सपायरी मंगलवार को होगी, जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर एक्सपायरी का दिन गुरुवार तय किया गया है। यह बदलाव बाजार की स्थिरता बनाए रखने और अत्यधिक स्पेक्युलेशन पर लगाम लगाने के उद्देश्य से किया गया है।
क्या है नया बदलाव
अब तक NSE पर सभी F&O कॉन्ट्रैक्ट्स की साप्ताहिक एक्सपायरी गुरुवार को होती थी, जबकि BSE की एक्सपायरी मंगलवार को होती थी। लेकिन अब यह स्थिति उलट दी गई है। NSE की साप्ताहिक एक्सपायरी मंगलवार को होगी और BSE की एक्सपायरी गुरुवार को निर्धारित की गई है।
NSE ने क्यों मांगी थी मंगलवार की एक्सपायरी
NSE ने SEBI से सिफारिश की थी कि उसे साप्ताहिक एक्सपायरी के लिए मंगलवार का दिन दिया जाए। इस पर सेबी ने गहन विचार के बाद फैसला लिया। NSE के चीफ बिजनेस ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने इसे सकारात्मक कदम बताया है। उन्होंने कहा, “अगर आप इसे उलटकर देखें कि अब NSE की एक्सपायरी मंगलवार को हो गई है, तो यह हमारे लिए एक बड़ा पॉजिटिव है। बाजार के कई प्रतिभागियों से हमें पहले से ही इस दिशा में सकारात्मक फीडबैक मिला था।”
NSE ने पहले सोमवार को एक्सपायरी का सुझाव दिया था, लेकिन विभिन्न हितधारकों के फीडबैक और बाजार की गतिशीलता को देखते हुए मंगलवार को ज्यादा उपयुक्त माना गया।
SEBI का मकसद, स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग को रोकना
इसी साल मार्च से SEBI इस दिशा में सक्रिय था। इसका उद्देश्य था सप्ताह के अलग-अलग दिनों में एक्सपायरी के कारण हो रहे अत्यधिक स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग पर नियंत्रण पाना। सेबी की रिपोर्ट में कहा गया कि एक्सपायरी सप्ताह में एक ही दिन हो, इससे बाजार में स्थिरता आएगी और निवेशकों को अनावश्यक जोखिम से बचाया जा सकेगा।
एक्सपायरी का मतलब क्या होता है
शेयर बाजार में एक्सपायरी उस तारीख को कहा जाता है, जब किसी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट (फ्यूचर्स या ऑप्शन) की वैधता समाप्त हो जाती है। इस दिन तक ट्रेडर्स को या तो अपनी स्थिति बंद करनी होती है या उसे अगले कॉन्ट्रैक्ट में रोलओवर करना होता है।
विशेष रूप से वीकली इंडेक्स ऑप्शन में, एक्सपायरी के दिन काफी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। कई बार इसी वजह से बाजार में अस्थिरता बढ़ जाती है। यही कारण है कि एक्सपायरी शेड्यूल को व्यवस्थित करने की जरूरत महसूस की गई।
निवेशकों के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव
इस बदलाव से निवेशकों और ट्रेडर्स को पहले से स्पष्ट जानकारी रहेगी कि किस एक्सचेंज पर कब एक्सपायरी है। इससे अनावश्यक सट्टेबाजी से बचा जा सकेगा और बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही, दोनों एक्सचेंजों को बराबरी का अवसर मिलेगा जिससे प्रतिस्पर्धा भी स्वस्थ बनी रहेगी।