Aakash Waghmare
12 Nov 2025
उत्तर प्रदेश। मुरादाबाद के अमरीश शर्मा ने एक आनोखी पहल की है। उन्होंने देसी संसाधनों का उपयोग करके गाय के गोबर से सुगंधित धूपबत्तियां और हवन कप बनाना शुरू किया है। ये धूपबत्तियां पूरी तरह प्राकृतिक हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचातीं। इनकी खुशबू मन को भाती है और बाजार में इनकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है। अमरीश का यह प्रयास न सिर्फ धार्मिक उपयोग के लिए उपयोगी है, बल्कि पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखने की दिशा में भी एक सुंदर कदम है।
मुरादाबाद के अमरीश शर्मा ने देसी संसाधनों का उपयोग करके एक नया और अनोखा काम शुरू किया है। वे गाय के गोबर से सुगंधित धूपबत्ती और हवन कप बनाते हैं। ये धूपबत्तियां न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि इनकी प्राकृतिक खुशबू लोगों को बहुत पसंद आ रही है। बाजार में इनकी मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर नवरात्र जैसे त्योहारों के समय।
अमरीश बताते हैं कि वे धूपबत्ती को पूरी तरह प्राकृतिक चीजों से तैयार करते हैं। इसमें गाय का गोबर, हवन सामग्री, गुग्गुल, कपूर, चंदन और अन्य सुगंधित तत्वों का प्रयोग किया जाता है। जब इसे जलाया जाता है, तो पूरा घर सुगंध से भर जाता है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।

अमरीश का कहना है कि कोई भी व्यक्ति इस विधि से घर पर भी आसानी से धूपबत्ती बना सकता है। इसके लिए ताजा गोबर में लकड़ी का बुरादा या नारियल का छिलका चूरा, थोड़ा गेहूं का आटा या गोंद बाइंडर के रूप में और खुशबू के लिए कपूर, गुग्गुल या चंदन मिलाया जाता है। इस मिश्रण को अच्छे से गूंथकर धूपबत्ती के आकार में तैयार किया जाता है।
तैयार की गई धूपबत्तियों को छाया में दो से तीन दिन तक सुखाया जाता है। सूखने के बाद इन्हें जलाने पर हल्की और मनमोहक खुशबू फैलती है। इसी मिश्रण से गोबर के हवन कप या गोलियां भी बनाई जाती हैं, जो कपूर से आसानी से जल जाती हैं।
गोबर से बनी ये धूपबत्तियां पूरी तरह प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल होती हैं। इनमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे वातावरण शुद्ध होता है। कम कीमत और सुगंध के कारण लोग इन्हें बड़ी संख्या में खरीद रहे हैं, जिससे अमरीश शर्मा का यह देसी प्रयोग सफल और प्रेरणादायक बन गया है।